SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पूजा करना या करवाना ? भगवान महावीर ने भिक्ष ओं को संबोधित करके एकबार कहा था- “नो पूयणं चेव सिलोयकामी' भिक्ष ओ! यश और पूजा प्राप्त करने की अभिलाषा मत करो। पूजा करने वाले को पूजा स्वयं प्राप्त होती है, यश देने वाला यश का वरण करता है, दूसरों को सम्मान देनेवाला स्वयं सन्मानित होता है। जो पूजा प्राप्त करने का प्रयत्न करता है, उसे किस प्रकार प्रताड़नाएँ आ घेरती हैं, यह निम्न रूपक से व्यक्त होता है। एकबार फूलों ने प्रकृति से शिकायत की "तुम्हारे शासन में हमारे साथ बहुत बड़ा अन्याय और पक्षपात पूर्ण व्यवहार हो रहा है। हम सदैव पत्थरों की पूजा करते रहें, उनके चरणों में अपना जीवन अर्पित करते जायें यह कहाँ का न्याय है।" प्रकृति ने कहा- “सच ! तुम्हारे साथ न्याय नहीं हो रहा है, तुम्हें पत्थरों की पूजा नहीं रुचती है तो न करो, अब से पत्थर तुम्हारी पूजा करेंगे।" फूल प्रसन्न होकर डाली पर गदरा रहे थे, पत्थर Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy