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क्या चाहते हो ?
मनुष्य फल चाहता है, वृक्ष नहीं, यदि वृक्ष की सेवा तथा संभाल की जाये तो फल स्वतः ही प्राप्त हो जायेंगे।
मनुष्य सुख, वैभव, यश, प्रतिष्ठा और संतान चाहता है, यदि धर्म का आचरण किया जाये. तो सुख, वैभव आदि उसके पीछे पीछे अपने आप आयेंगे।। ___ वृक्ष की महत्ता से जो परिचित है, वह फलों के आडम्बर पर ललचाता नहीं, धर्म की अनन्त शक्ति का जिसे ज्ञान है, वह सुख वैभव के व्यामोह में फंसता नहीं। भारतीय इतिहास की भाषा में धर्म को ग्रहण करना अर्जुन की दृष्टि है, सुख वैभव पर ललचाना दुर्योधनीबुद्धि है।
महाभारत का युद्ध निश्चित होने पर नारायण श्री कृष्ण को रण-निमंत्रण देने दुर्योधन द्वारका पहुचा, इधर अर्जुन भी ! श्री कृष्ण शयनागार में आराम कर रहे थे, दुर्योधन शय्या के सिरहाने की ओर एक आसन पर बैठ
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