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________________ २ | २२ कच्ची रोटी रंग-रूप के आधार पर ऊंच-नीच की कल्पना मनुष्य के अज्ञान का प्रतीक है। जाति के आधार पर गौरव और बड़प्पन की भावना - मिथ्या अहंकार का सूचक है । भगवान महावीर ने कहा है से असइ उच्चा गोए, असइ नीयागोए नो हीणे, नो अइरिते । यह आत्मा अनेक बार नीच योनि में जन्म ले चुका है और अनेक बार ॐच कहे जाने वाले गोत्रों में, फिर जबकि विभिन्न गोत्र व योनियों में यह भ्रमण कर चुका है तो क्या तो हीन हुआ ? और क्या बड़ा ? शुद्धाद्वैत की दृष्टि से तो जो आत्मा एक काले मनुष्य में है, वही एक गोरे मनुष्य में है । जो आत्मा मनुष्य में है वही एक कुत्त े में और वही एक कीड़े में ! १. आचारांग १।६।३ Jain Education International - २०७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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