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कच्ची रोटी
रंग-रूप के आधार पर ऊंच-नीच की कल्पना मनुष्य के अज्ञान का प्रतीक है। जाति के आधार पर गौरव और बड़प्पन की भावना - मिथ्या अहंकार का सूचक है ।
भगवान महावीर ने कहा है
से असइ उच्चा गोए, असइ नीयागोए नो हीणे, नो अइरिते ।
यह आत्मा अनेक बार नीच योनि में जन्म ले चुका है और अनेक बार ॐच कहे जाने वाले गोत्रों में, फिर जबकि विभिन्न गोत्र व योनियों में यह भ्रमण कर चुका है तो क्या तो हीन हुआ ? और क्या बड़ा ?
शुद्धाद्वैत की दृष्टि से तो जो आत्मा एक काले मनुष्य में है, वही एक गोरे मनुष्य में है । जो आत्मा मनुष्य में है वही एक कुत्त े में और वही एक कीड़े में !
१. आचारांग १।६।३
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