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उत्साह का ज्वार
दृढ़ संकल्प नदी का वह प्रवाह है, जिसे चट्टानों से रास्ता नहीं मांगना पड़ता, वह जिधर भी मुड़ जाता है अपने आप रास्ता बन जाता है।
रससिद्ध कवि जगन्नाथ की उक्ति है-“यदि पथि विपथे वा यद् व्रजामः स पन्था''-दृढ़ संकल्प और साहस लिए हम टेढ़े-मेढ़े जिस रास्ते से भी निकल जाते हैं, वही मार्ग बन जाता है। ___मनुष्य के संकल्प को उद्बोधित करने वाला एक वैदिक वचन है
अश्मन्वती रीयते, संरभध्वमुत्तिष्ठत प्रतरता सखायः ।"१ मित्रो, यह अश्मन्वती-पत्थरों से भरी नदी बह रही है। (कठिनाइयाँ खड़ी हैं) दृढ़ता से तनकर खड़े हो जाओ, ठीक प्रयत्न करो और इसे लांघकर किनारे चले जाओ।
१. ऋग्वेद १०।६३।८
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