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________________ १८६ जीवन स्फूर्तियाँ यह देखिए कि सामने एक आप जैसा ही मनुष्य है, जिसका मन भी आपकी तरह इन गुणों का भूखा है । और यह मत भूलिए कि शिष्टता, सद्व्यवहार की बेल बगीचे में डाले बीज की तरह फलवती बनकर आपको कृतार्थ कर सकती है । एकबार अमेरिका के धनकुबेर कारनेगी की पत्नी अकेली ही शाम को पैदल घूमने निकली । संयोग से पानी बरसने लगा । वह बरसात से बचने के लिए रास्ते की एक दुकान पर जाकर खड़ी हो गईं । दुकान में छुट्टी हो गई थी, थके-मांदे कर्मचारी घर जाने की जल्दी में थे, किसी ने अपरिचित महिला की ओर देखा तक नहीं। एक साधारण क्लर्क की नजर उस भद्र महिला पर पड़ी । अपरिचित स्त्री के प्रति साधारण शिष्टाचार दिखाते हुए उसने एक कुर्सी भीतर से लाकर रखी और आग्रहपूर्वक बैठाते हुए कहा - " श्रीमती जी ! क्या मैं आपकी कुछ सेवा कर सकता हूँ ।" श्रीमती कारनेगी ने बताया - " वर्षा के कारण मुभ रुकना पड़ा है ।" वह युवक की शिष्टता और सभ्यता से बहुत प्रभावित हुई । वर्षा बन्द होने पर श्रीमती कारनेगी धन्यवाद देकर चली गई । दूसरे दिन अचानक एक आदमी उस दुकान में आया और उस क्लर्क से कहा - " आपको श्रीमती कारनेगी ने बुलाया है ।" विस्मित हुआ युवक जब श्रीमती कारनेगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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