________________
सद्व्यवहार
१८७ की कोठी पर पहुंचा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा । "यह तो वही भद्र महिला है जो कल सायंकाल वर्षा के कारण उसकी दुकान पर रुकी थी।" युवक ने अभिवादन किया।
श्रीमती कारनेगी ने युवक को आदरपूर्वक बैठाकर कहा- "स्काटलैंड में मैंने बहुत बड़ी जायदाद खरीदी है, वहां के लिए मुझे एक सुयोग्य प्रबन्धक की जरूरत है। वेतन स्तर बहुत अच्छा होगा। यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं आप जैसे सुसभ्य प्रबंधक को पाकर प्रसन्न रहूंगी।"
युवक अपनी बदलती तकदीर की तस्वीर देखते खड़ा रहा । एक छोटे से सद्व्यवहार ने उसके जीवन की दिशा बदल दी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org