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राक्षसी और देवी
१८१ कंगन से उस दीन की आवश्यकता पूर्ति कैसे होगी ? ले जाइये, उसे दोनों ही कंगन दे दीजिए।"
और यह है एक विरल उदाहरण स्वतंत्र भारत के प्रथम भाग्य-पुरुष नेहरू जी के आदर्श-दाम्पत्य का। अपनी स्वर्गीय पत्नी कमला के सम्बन्ध में नेहरू जी ने 'आत्मकथा' में लिखा है- “अपने जीवन पर्यन्त मेरी पत्नी ने मुझसे जो उत्तम व्यवहार किया, उसका मैं ऋणी हूँ। स्वाभिमानी और मृदुल स्वभाव की होती हुई भी उसने न सिर्फ मेरी सनकों को बर्दाश्त किया, बल्कि जबजब मुझे शांति और संतोष की आवश्यकता पड़ी उसने मुझे निराश नहीं किया।"
नारी गृहस्थ जीवन के नन्दनवन की शोभा है। उसने जब-जब अपने दिव्य रूप को प्रकट किया है पुरुष के सत्संकल्पों के कल्पवृक्ष लहलहा उठे हैं। किंतु जब वह अपने विकृत रूप में प्रकट हुई है, तो पुरुष के जीवन के आनन्द एवं शांति के झरने सूख गये और वह संसार में देवी के नाम पर 'राक्षसी' का चरित्र निर्माण कर गई।
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