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________________ १७८ जोवन स्फूर्तियाँ और यदि क्रूर स्वभाव की मिली तो दार्शनिक बन जाओगे।" सुकरात जब पत्नी के कलह से खिन्न होकर देहलीज पर बैठे थे तो पत्नी बड़ बड़ाती हुई आई और उन पर पानी का एक लोटा ऊडेल डाला । सुकरात ने पत्नी की ओर देखा और मुस्करा कर बोले-"मुझे मालूम है, बादल गरजने के बाद बरसते भी हैं।" __ और यह लीजिए आधुनिक युग के विचार-पुरुष टालस्टाय ! टालस्टाय, जिन्हें गांधी जी भी अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक मानते थे। उनका दाम्पत्य जीवन सदैव शूलों की शैया बना रहा । गोर्की ने जब टालस्टाय से एक बार उनकी पीड़ाओं के बारे में पूछा तो, अपने दाम्पत्य जीवन की समस्त पीड़ाओं को एक ही वाक्य में उड़ेलते हुए टालस्टाय ने कहा-“भूकम्प के आतंक से आदमी का उद्धार हो सकता है, रोगों की विभीषिका से उसे मुक्ति मिल सकती है, आत्म-पीड़ा से भी उसे बचाया जा सकता है, लेकिन पत्नी के अत्याचार से पति को संरक्षण प्राप्त कर सकना त्रिकाल में भी संभव नहीं है।" महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत तुकाराम की पत्नी की ऋ रता और झगड़ालु स्वभाव तो चरम कोटि का था। तुकाराम एक बार जब खेत में से गन्न लेकर घर आये तो पत्नी उन पर शब्द प्रहार करती हुई ईक्षु-प्रहार करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003185
Book TitleKhilti Kaliya Muskurate Ful
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1970
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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