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उदार दृष्टि
जिनके मन का दायरा छोटा होता है, उनमें तेरे-मेरे के संकल्प होते हैं, ममकार के कठघरे बने रहते हैं।
जिनके मन में विश्वचेतना का अखण्ड प्रतिबिम्ब झलकता है, वहां समूची मानव जाति एक परिवार के रूप में दिखाई देती है। सूक्ति है
" अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥"
यह मेरा, यह पराया, यह गणित तो छोटे मन की झलक है। जिनका मन सागर-सा विशाल व उदार है, उनके लिए संपूर्ण पृथ्वी ही अपना परिवार है। . और जहां पर समूची मानव जाति एक बिरादरी के रूप में देखी जाती है-एक्का माणुस्स जाति'-जहां समस्त संसार एक घोंसले की तरह 'एक घर' बन जाता है
१. आचाराग चूणि २
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