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समय
सुख-दुःख मन की स्थिति है, अन्तर की अनुभूति है। उसका उद्गम मनुष्य के अन्तःकरण में होता है,
और विलय भी वहीं होता है।। ___बहुत बार देखा जाता है-दुःख की अनुभूतियां जब तीव्र होती हैं तो हृदय अग्निकुड की तरह संतप्त एवं प्रज्वलित हो उठता है। उस स्थिति में न तत्त्वज्ञान से शांति मिलती है, न उपदेश से ! ऐसी स्थिति में 'समय'कालक्ष प ही मनुष्य को शांति प्रदान कर सकता है। अतः कहा जाता है- दुःख की सबसे बड़ी औषिध है-समय।
समय पाकर जब दुःख की स्मृतियां मन से निःशेष हो जाती हैं तो स्वतः ही मन शांत-प्रफुल्ल हो उठता है । ____ सरवाल्टेयर ने एक कहानी लिखी है-एक महान् दार्शनिक ने एक पति शोक में संतप्त महिला को शांति का उपदेश देते हुए कहा-"श्रीमतीजी, इगलैंड की रानी और हेनरी अष्टम की पुत्री पर भी कभी ऐसा ही
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