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आज की समीक्षा
कांच के टुकड़े का मूल्य किसके लिए है ? जिसे रत्न और काँच की परीक्षा नहीं है। जो दोनों का भेद समझता है, उसके समक्ष काँच, काँच है, और रत्न, रत्न । उत्तराध्ययन में एक सूक्त हैराढामणी वेरुलियप्पगासे अमहग्घए होइ हु जाणएसु ।'
वैडूर्यरत्न के समान चमकने वाले कांच के टुकड़े जौहरी के समक्ष मूल्यहीन हो जाते हैं ।
किंतु आज ऐसे जौहरी हैं कितने ? और उनकी कहां चलती है ? आज ज्ञानवान व धर्मवान का मूल्य कहाँ है ? वह तो सदा शांत आर गंभीर रहता है ? आज तो लोग उसे ही विद्वान व प्रतिभासम्पन्न मानते हैं जो afae बोलता है “पंडित सोइ जो गाल बजावा" कविवर तुलसी के शब्दों में जो गाल बजाना जानता है,
१. उत्त० २० । ४२
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