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अमरता का खोज
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देवगण आशा भरी नजर से प्रजापति की स्मयमान मुख मुद्रा को निहारने लगे। प्रजापति ने कहा- "वह गुप्ततम स्थान है मनुष्य का ही अन्तःकरण ।"
अमरता की खोज में मनुष्य आकाश-पाताल का कण-कण खोजकर हार चुका है, और फिर भी खोजे जा रहा है-पर आज तक उसने अपना अन्तःकरण नहीं टटोला-जहां अमरता का अमृत घट छिपाया गया है।
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