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________________ २२ | चिन्तन के विविध आयाम [ खण्ड २ ] ५. यशोभद्र ७. भद्रबाहु ६. महागिरि ११. बलिस्सह १३. श्यामार्य १५. समुद्र १७. नन्दिल १९. रेवति नक्षत्र २१. स्कन्दिलाचार्य २३. नागार्जुन वाचक २५. लोहित्य २७. देवगण वालभी वाचना के अनुसार १. सुधर्मा ३. प्रभव यशोभद्र ५. ७. भद्रबाहु ६. महागिरि ११. कालकाचार्य १३. आर्य समुद्र १५. आर्य धर्म १७. श्रीगुप्त १९. आर्यरक्षित २१. वज्रसेन २३. रेवतिमित्र २५. नागार्जुन Jain Education International १. सुधर्मा ३. प्रभव ५. यशोभद्र ७. स्थूलभद्र ६. सुस्थित सुप्रतिबुद्ध ११. आर्य दिन ६. सम्भूतविजय स्थूलभद्र १०. सुहस्ती १२. स्वाति १४. शाण्डिल्य १६. मंगू १८. नागहस्ती २०. ब्रह्मद्वीपिकसिंह २२. हिमवन्त २४. भूतदिन २६. दुष्यगणी स्थविर क्रम इस प्रकार है : २. जम्बू ४. शय्यंभव ६. सम्भूतविजय ८. स्थूलभद्र १०. सुहस्ती १२. रेवतीमित्र १४. आर्य मंगू १६. भद्रगुप्त १८. आर्य वज्र २०. पुष्पमित्र २२. नागहस्ती २४. ब्रह्मदीपकसिंह सूरि २६. भूतदिन २७. कालकाचार्य देवगणी क्षमाश्रमण की गुरु परम्परा २. जम्बू ४. शय्यंभव ६. संभूतविजय भद्रबाहु ८. महागिरि - सुहस्ती १०. आर्य इन्द्रदिन १२. आर्य सिंहगिरि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003180
Book TitleChintan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1982
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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