________________
अरिष्टनेमिः पूर्वभव
२७ राजकुमारी को पत्र लिखा, और प्रेम के प्रतीक के रूप में एक मुक्ता हार भी प्रषित किया।२
दूत सगाई निश्चित कर पुनः अपने स्थान पर लौट आया । राजकुमारी भी पत्र के साथ पुरस्कार को प्राप्त कर आनन्द से नाचने लगी।
योग्य समय पर राज कुमार का राजकुमारी के साथ विवाह सम्पन्न हुआ। दोनों एक दूसरे को प्राप्त कर अत्यन्त प्रसन्न थे।
एक समय राजकुमार उद्यान में घूमने के लिए गया। वहां उसने देखा चतुर्ज्ञानी वसुन्धर मुनि प्रवचन कर रहे हैं । वह भी मुनि के प्रवचन को सुनने के लिए बैठ गया। उस समय राजा विक्रम धन, धारिणी रानी और धनबती ये तीनों भी प्रवचन सुनने के लिए वहां पर उपस्थित हुए। प्रवचन पूर्ण होने पर राजा विक्रमधन ने मुनि से प्रश्न किया - भगवन् ! यह धनकुमार जब गर्भ में आया था तब इसकी माता ने स्वप्न देखा था कि नौ बार आम का वृक्ष विभिन्न स्थानों पर लगाया गया, इसका क्या तात्पर्य है ?१३
११. प्रेषीदं धनवत्येति जल्पन् पत्रकमार्पयत् ।
तन्मुद्रां धनकुमारः स्फोटयित्वा स्वपाणिना । तत्पत्र वाचयामास मदनस्येव शासनम् ।।
-त्रिषष्टि० ८।११७६-७७ १२. विमृश्येति स्वहस्तेन लिखित्वा सोऽपि पत्रकम् ।
धनवत्यै तस्य हस्ते हारेण सममार्पयत् ।।--त्रिषष्टि ०८।११८० (ख) इअ चितिऊण तेणवि तहेव भुज्जं सहत्थ परिलिहियं तह मुत्ताहलहारो य पेसिओ तीए तस्स करे ।
-भव-भावना १६०। पृ २० १३. देशनान्ते व्यज्ञपयत्त विक्रमधनो नृपः ।
धने गर्भस्थिते माता स्वप्ने चूतद्र मैक्षात ॥ तस्योत्कृष्टोत्कृष्ट-फलस्यान्यत्रान्यत्र रोपणम् । भविष्यति नवकृत इत्त्याख्यात्तत्र कोऽपि ना ।। नववारारोपणस्य कथयार्थ प्रसीद नः । कुमारजन्मनाप्यन्यज्ज्ञातं स्वप्नफलं मया ॥
-त्रिषष्टि० ८।१।१०१ से १०३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org