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(१) धनकुमार और धनवती :
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भगवान् अरिष्टनेमि के जीव ने एक बार जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में अचलपुर नगर में जन्म लिया ।' उसके पिता का नाम राजा विक्रमधन था और माता का नाम धारिणी था । एक समय महारानी धारिणी अपने शयन कक्ष में आनन्द के साथ सो रही थी रात्रि का चतुर्थ प्रहर था । उसने उस समय एक बड़ा विचित्र स्वप्न देखा -- "एक सुहावना आम का वृक्ष है, बौर आ रहे हैं, मंजरियाँ फूट रही हैं। उसकी भीनी-भीनी महक चारों ओर फैल रही है । भ्रमर सौरभ से आकृष्ट होकर उस पर मंडरा रहे हैं। कोयल की मीठी स्वर लहरी से सारा वन प्रान्त मुखरित हो रहा है । ऐसे सुन्दर आम के वृक्ष को लेकर एक तेजस्वी पुरुष आता है और वह महारानी को संकेत कर कहता है - यह सुन्दर और सुहावना वृक्ष आज तुम्हारे आंगन में रोपा जा रहा है । भविष्य में यह फलयुक्त होकर विभिन्न स्थानों पर नौ बार रोपा जायेगा । "४
भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
१. जंबूद्वीपे द्वीपेऽत्रैव क्षेत्र वास्ति भारते । अचलायाः शिरोरत्नं नाम्नोचलपुरं पुरम् ॥
२. (क) तत्राभूद्विक्रमधनाभिधानो वसुधाधवः ।
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-- त्रिषष्टि० ८।११३
(ख) धवलेइ सो नरिंदो तं पालइ विक्कमधणो त्ति ।
- भव-भावना गाथा ७। पृ० ८, मलधारी हेमचन्द्र सयल गुणधरणओ इव धारिणि नामेण विक्खाया । —भव-भावना गा० ११, पृ० ८
— त्रिषष्टि० ८।११४
(ख) त्रिषष्टि० 1१1८ ४. सान्यदा यामिनीशेषे चूतं मत्तालिकोकिलम् । उत्पन्नमंजरी पुञ्ज फलितं स्वप्न मैक्षत ॥ तेन पाणिस्थितेनोचे कोऽप्येवं रूपवान् पुमान् । तवांगणे रोप्यतेऽसावद्य चूतोऽयमुच्चकैः ॥ कियत्यपि गते कालेऽन्यत्रान्यत्र निधास्यते । उत्कृष्टोत्कुष्टफलभाग्नव वारावधिह्य सौ 11
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- त्रिषष्टि० ८।११११-१२
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