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भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १
३७३ थी।४ अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को यहां का राजा बनाया गया था।१४१
विविधतीर्थकल्प के अनुसार भगवान् ऋषभदेव के पुत्र कुरु थे, और उनके पुत्र हस्ती थे, उन्होंने हस्तिनापुर बसाया था । १४२ इस नगर में विष्णुकुमार मुनि ने बलि द्वारा हवन किए जाने वाले सात सौ मनियों की रक्षा की थी। सनत्कुमार, महापद्म, सुभौम, और परशुराम का जन्म इसी नगर में हुआ था। इसी नगर के कार्तिक सेठ ने मुनिसुव्रत स्वामी के पास संयम लिया था और सौधर्मेन्द्र पद प्राप्त किया था। १४३ शान्तिनाथ, कुंथुनाथ और अरनाथ इन तीनों तीर्थंकरों और चक्रवर्तियों की जन्मभूमि होने का गौरव भी हस्तिनापुर को ही है। पौराणिक दृष्टि से इस नगर का अत्यधिक महत्त्व रहा है। वसुदेवहिण्डी में इसे ब्रह्मस्थल कहा गया है । १४४ हस्तिनापुर का दूसरा नाम गजपुर और नागपुर भी था । वर्तमान में हस्तिनापुर गंगा के दक्षिण तट पर, मेरठ से बावीस मील दूर पर उत्तर पश्चिम कोण में तथा दिल्ली से ५६ मील दक्षिण-पूर्व खण्डहरों के रूप में वर्तमान है।
पाली-साहित्य में इसका नाम 'हस्थिपुर' या हत्थिनीपुर आता है। किन्तु उसके समीप गंगा होने का कोई उल्लेख नहीं मिलता। रामायण, महाभारत आदि पुराणों में इसकी अवस्थिति गंगा के पास बताई गई है । ४५ चेदि :
चेदि जनपद वत्स जनपद के दक्षिण में, यमुना नदी के सन्निकट अवस्थित था। इसके पूर्व में काशी, दक्षिण में विन्ध्यपर्वत, पश्चिम
१४०. वहीं० आदिपर्व १००।१२।२४४ १४१. वहीं० महभारत प्र० १०८।२४५ १४२. कुरुनरिंदस्स पुत्तो हत्थी नाम राया हुत्था । तेण हथिणाउरं
निवेसि। -विविध तीर्थकल्प, सिंघी जैन ग्रन्थमाला प्र० सं०
हस्तिनापुर कल्प पृष्ठ २७ १४३. जयवाणी पृ० ३८७-३६६
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