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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
कुरुजांगल : __थानेश्वर, हिसार अथवा सरस्वती-यमुना-गंगा के मध्य का प्रदेश कुरुजांगल कहलाता था। गंगा-यमुना के बीच मेरठ कमिश्नरी का भूभाग कुरु जनपद था । इसकी राजधानी हस्तिनापुर थी। वस्तुतः कुरु जनपद और कुरुजांगल एक दूसरे से मिले हुए थे । १33 शूरसेन : __ शूरसेन जनपद की अवस्थिति मथुरा के आसपास थी। मथुरा, गोकुल, वृन्दावन, आगरा आदि इस जनपद में सम्मिलित थे। महाभारत के अनुसार दक्षिण दिग्विजय के समय सहदेव ने इन्द्रप्रस्थ से चलकर सबसे पहले शूरसेनवासियों पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त की थी । १३४ वे युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में सम्मिलित हुए थे । १३५ जैनदृष्टि से शूरसेनदेश की प्रसिद्ध नगरी मथुरा थी।१६ ग्रीक इतिहासकारों ने भी शूरसेन देश और उसकी मथुरा नगरी का वर्णन किया है । १७° शक्तिसंगमतन्त्र में शूरसेन का विस्तार उत्तर पूर्व में मगध और पश्चिम में विन्ध्य तक बताया है। हस्तिनापुर :
हस्तिनापुर कुरुजांगल जनपद की राजधानी था। भगवान् ऋषभदेव को हस्तिनापुर के अधिपति श्रेयांस ने ही सर्वप्रथम आहार दान दिया था । १३९ महाभारत के अनुसार महोत्र के पुत्र राजा हस्ती ने इस नगर को बसाया था, अतः इसका नाम हस्तिनापुर पड़ा ।१३९ महाभारतकाल में कौरवों की राजधानी भी हस्तिनापुर में ही
१३२. भगवान पाश्व : एक समीक्षात्मक अध्ययन १३३. आदिपुराण में भारत पृ० ५४ १३४. महाभारत, सभापर्व ३१।१-२ १३५. महाभारत, सभापर्व ५३।१३ १३६. आदिपुराण में भारत पृ० ६६ १३७. एथनिक सेटिलमेन्ट इन् एन्शियन्ट इण्डिया पृ० २३ १३८. ऋषभदेव : एक परिशीलन पृ० १०१-१०५ १३६. महाभारत, आदिपर्व ६५३४।२४३
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