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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण ४ | द्रौपदी की परीक्षा : ___ कहा जाता है एक समय द्रौपदी कहीं जा रही थीं। रास्ते में एक नदी आयी। राजा कर्ण सूर्य की उपासना में तल्लीन थे। उनके तेजस्वी चेहरे को देखकर द्रौपदी के मन में विचार आया-यह भी पाण्डवों के भाई हैं, यदि साथ ही रहते तो जैसे पाँच पति हैं वैसे छठे पति इनको भी बना लेती। द्रौपदी के मन में विचार आया और चला गया । द्रौपदी अपने महलों में लौट आयी।
किसी भी प्रकार द्रौपदी के मन का यह विचार श्रीकृष्ण को ज्ञात हो गया। उन्होंने सोचा द्रौपदी ने भूल की है और उस भूल का प्रायश्चित्त करना चाहिए, नहीं तो यह छोटी भूल विराट रूप ले सकती है। __ यह सोचकर श्रीकृष्ण द्रौपदी और पाँचों पाण्डवों को लेकर जंगल में पहुँचे, वहां पर एक सुन्दर बगीचा आया । बगीचे में प्रवेश करने के पूर्व श्रीकृष्ण ने सबसे कह दिया कि कोई भी इसमें से एक भी फल और फूल न तोड़े । सभी ने कृष्ण की आज्ञा स्वीकार कर उपवन में प्रवेश किया। __ उपवन का सौन्दर्य अवलोकन करते हुए सभी आगे बढ़ रहे थे । भीम सभी से पीछे थे। उनकी दृष्टि आम के वृक्ष पर गई । अति सुन्दर सरस आमों को देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने एक आम तोड़ लिया। उसे खाने की ज्योंही तैयारी करने लगे त्यों ही कृष्ण ने कहा- भीम यह क्या कर रहे हो ! तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की है। . भीम तो कृष्ण को सामने देखकर घबरा गया। उसने नम्रता से कहा-मुझसे भूल हो गई है। ____ कृष्ण-भीम ! भूल कहने से कार्य नहीं चलेगा, जरा अपने मुह से बोलो-इस चोरी के अतिरिक्त मैंने कभी भी अपने जीवन में चोरी न की हो तो हे फल ! वृक्ष से चिपक जा।। __ कृष्ण के कहने से ज्योंही भीम ने फल को कहा-फल ऊपर उठा, वक्ष के लगने लगा, त्योंही कृष्ण ने उसे बीच में ही पकड़ लिया। नकूल, सहदेव, अर्जुन और धर्मराज की भी इसी प्रकार परीक्षा
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