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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
(२) पद्मावती :
यह रिष्टपुर नगर के रुधिर सजा की देवी श्री की पुत्रो थी।२४ इसका रूप भी अत्यन्त सुन्दर था। पिता ने उसके लिए स्वयंवर की योजना की। वह सजधज कर स्वयं में जा रही थी। उस युग में अपहरण कर उसके साथ विवाह करना वीरता मानी जाती थी। श्रीकृष्ण की दृष्टि पद्मावती पर गिरी, और पद्मावती की श्रीकृष्ण पर, दोनों एक दूसरे पर मुग्ध हो गए। अतः श्रीकृष्ण ने उसकी इच्छा से अपहरण किया, और पांचजन्य शंख फूककर सभी को यह सूचना दी । स्वयं पद्मावती के साथ द्वारिका आये। उसके बाद राजा रुधिर ने भी धन और दासियां भेजी।२५ (३) गौरी : ___यह सिंध के वीतभय नगर के राजा मेरु की पत्नी चन्द्रावती की पुत्री थी,२६ राजा मेरु ने दशा) को कहलाया कि वह अपनी पुत्री श्रीकृष्ण को अर्पित करना चाहता है, दशा) ने अभिचन्द्र को भेजा, उसने उनके साथ अपार धन एवं गौरी को भेजी, गौरी का श्रीकृष्ण के साथ पाणिग्रहण हुआ।२७ (४) गांधारी :
यह गांधार जनपद के पूष्कलावतो नगर के राजा नग्नजित को पुत्री थी। उसकी माता का नाम मरुमती था। उसके भाई का नाम विश्वसेन था। यह रूप में ही नहीं, संगीत और चित्रकला में भी पूर्ण निपुण थी। उसके साथ श्रीकृष्ण का पाणिग्रहण हुआ।२१
२३. कण्हस्स उग्मसेणस्स दुहिया सच्चभामा णाम सची विव सक्कस्स बहुमया।
-वसुदेवहिण्डी पृ० ७८, भा० १ २४. रिट्ठपुरे य रुहिरस्स रण्णो देवी सिरी, तीसे दुहिया पउमावती ।
-~-वसुदेवहिण्डी पृ० ७८ २५. वहीं० पृ० ७८ २६. सिंधुविसए वीइभयं नगरं । तत्थ य मेरु राया, चंदमती देवी, तीसे दुहिया गोरी।
-वसुदेवहिण्डो ७८
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