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द्वारिका में श्रीकृष्ण
२३३ (५) लक्ष्मणा: ___ यह सिंहलद्वीप के राजा हिरण्यलोम की पुत्री थी। उसकी माता का नाम सूकूमारा था और भाई का नाम द्र मसेन था ।30 श्रीकृष्ण ने रूप की प्रशंसा सुनकर अपना दूत सिंहलद्वीप भेजा। दूत ने जाकर सन्देश दिया कि लक्ष्मणा अत्यन्त रूपवती है। वह दक्षिण समुद्र के किनारे स्नानादि के लिए अपने भाई के साथ एक महीने तक रुकेगी। श्रीकृष्ण और बलराम दोनों भाई वहां पर गये। द्र मसेन ने प्रतिरोध किया, तो कृष्ण उसे मारकर लक्ष्मणा को लेकर द्वारिका आये। हिरण्यलोम राजा को ज्ञात होने पर उसने कहलाया कि मेरा पूर्व चिन्तित-मनोरथ पूर्ण हुआ है, मैं प्रसन्न हूँ अतः विराट सम्पत्ति प्रषित कर रहा हूँ, व आपका अनुयायी हूँ।३२ (६) सुसीमा : __यह अराक्षरी नगरी के राष्ट्रवर्धन राजा की पत्नी विनयवती की पूत्री थी। उसका भाई नमुची युवराज था। एक समय वह सौराष्ट्र के प्रभास स्थल पर अपने भाई के साथ स्नान करने के लिए
२७. वहीं० पृ० ७८ २८. गंधारजणवए पोक्खलावईनगरीए नग्गई नाम राया, देवी य
मरुमती, तीसे वीससेणो पुत्तो जुवराया, तस्स भगिणी गंधारी रूववती रूवगए गंधव्वे य परिणिट्रिया।
__-वसुदेवहिण्डी पृ० ७८ २६. वसुदेव हिण्डी पृ० ७६ ३०. सिंहलदीवे राया हिरण्णलोमो, तस्स देवी सुकुमाला नाम, तेसिं
दुहिया लक्खणलया लक्खणा णाम, पुत्तो य तस्म रण्णो जुवराया दुमसेणो ।
-वसुदेवहिण्डी पृ० ७६ ३१. दूओ य पेसिओ कण्हेण सिंहलदीवं, सो आगतो कहेइ-देव !
हिरण्णलोमस्स रण्णो दुहिया देवया विव रूवस्सिणी, सा तुम्ह जोग्गा।
-वसुदेवहिण्डी पृ० ७६ ३२ वहीं० पृ० ७६
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