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भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण
भयावना था । आकाश में काली घटाएं छायी हुई थीं, बिजलियां कड़क रही थीं । प्रचण्ड वर्षा हो रही थी । सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में भी भयानक तूफान आ रहा था । कंस के क्रूर शासन की काली घटाएं छायी हुई थीं । जरासंध के अत्याचार की बिजलियाँ कड़क रही थीं । दुर्योधन और शिशुपाल जैसी मदान्ध शक्तियाँ भारतीय क्षितिज पर मंडरा रही थीं । 'जिसके पास शक्ति है वही इस धरती का अधिपति है ।' शक्तिहीन को जीवित रहने का अधिकार नहीं ।' इस मान्यता की भयानकता से सभी का मानस व्यथित था । तात्पर्य यह है कि प्रकृति में ही नहीं, समाज में भी तूफान मचलरहा था । इस अन्तर्बहिर तूफान के बीच श्रीकृष्ण का जन्म होता है | श्रीकृष्ण के पुण्य के प्रभाव से कारागृह के बाहर जो पहरेदार कंस की आज्ञा से पहरा दे रहे थे उन्हें गहरी नींद आजाती है । 3
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महारानी देवकी ने वसुदेव से कहा- पतिराज ! कंस ने छल करके हमारे गर्भ के बच्चे मांग लिये थे । इसके पूर्व के मेरे छह बालकों को उसने मार डाला है । इस बच्चे की किसी प्रकार रक्षा करें । आप इस बालक को गोकुल में ले जायें और नन्द के घर रख दें । यह वहीं पर बड़ा होगा । ५
वसुदेव ने देवकी की बात सुनकर अपनी सहमति प्रकट की । वे उसी समय बालक को लेकर चल दिये । द्वार आदि स्वतः खुलते
३. वसुदेव हिण्डी में
४. (क) वसुदेव हिण्डी पृ० ३६८-६ में मारने का स्पष्ट उल्लेख है । (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व : सर्ग ८, ५, श्लोक ६०-६७ तक, चउप्पन्न महापुरिसचरियं - श्लोक ४६-४७ पृ० १८३ और हरिवंशपुराण सर्ग ३५, श्लोक १-१५ के अनुसार देवकी के छह सजीव बालकों को हरिणैगमेसी परिवर्तन करता है और सुलसा के मृत बालकों को देवकी के पास रखता है और कंस उन्हें पछाड़ता है । (ग) हतेषु षट्सु बालेषु देवक्या औग्रसेनिना ।
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— भागवतस्कंध, १०, अ० २, श्लोक ४ के अनुसार देवकी के जन्मे हुए बलभद्र के पहले के छः सजीव बालकों को कंस पटक कर मार देता है ।
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