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भारतीय साहित्य में श्रीकृष्ण
१८१ द्वारिका वर्णन आदि होना चाहिए, किन्तु वर्तमान में उपलब्ध पुस्तकों में वह नहीं है।
वामनपुराण में केशी, सुर तथा काल नेमि के वध की कथा है ।
कूर्मपुराण के पूर्वार्ध में यदुवंश का वर्णन है । पच्चीसवें अध्याय में कृष्ण पुत्र-प्राप्ति के लिए महादव आदि की आराधना करते हैं । सत्ताईसवें अध्याय में साम्ब आदि कुमारों का वर्णन है। ___ गरुडपुराण के आचार काण्ड में कृष्णलीलाओं का वर्णन है।६६ इस में पूतनावध, यमलार्जुन उद्धार कालियदमन, गोवर्द्धन धारण, केसी-चाणूर वध, संदीपनि गुरु से शिक्षा लाभ आदि सभी कथाएं संक्षेप में दी गई हैं। गोपियों का तथा कृष्ण की रुक्मिणी, सत्यभामा आदि अष्ट पत्नियों का उल्लेख है, किन्तु राधा का नाम नहीं आया है। २३ वें अध्याय में गीता का सार भी प्रस्तुत किया है। २७वें अध्याय में जाम्बवती के साथ कृष्ण पाणिग्रहण का वर्णन भी है।
ब्रह्माण्ड पुराण के बीसवें अध्याय में कृष्ण के जन्म लेने आदि की घटनाए हैं।
दैवी भागवत के चतुर्थस्कन्ध में भी श्रीकृष्ण की कथा वरिणत है।
हरिवंशपुराण में गोपालकृष्ण सम्बन्धी सबसे अधिक कथाए हैं। यह पुराण गाथात्मक है और लौकिकशैली में निर्मित है। पाश्चात्य विद्वानों ने इसको ईसा की पहली शताब्दी की कृति माना है।६७ इसमें पूतनावध, शकटभंग, यमलार्जुन पतन, माखनचोरी कालिय दमन, धेनुकवध, गोवर्द्धन धारण आदि लीलाओं का विस्तार से वर्णन है । विष्णु पर्व में कृष्णजीवन की सम्पूर्ण कथा है ।६८ कृष्ण के सौन्दर्य का निरूपण है । यमलार्जुन भंग में कृष्ण व बलराम के अंगों का वर्णन है। हरिवंश के कृष्ण आबाल वृद्ध सभी को प्रिय
६६. गरुडपुराण, आचार कांड अ० १४४, श्लो० १११ । ६७. हिन्दी साहित्य में राधा, पृ० ४१ देखें। ६८. विष्णु पर्व अ० १२८ । ६६. हरिवंशपुराण अ० २० श्लो०१६-२०-२१ । ७०. अध्याय ७, श्लो० ७ ।
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