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भारतीय साहित्य में श्रीकृष्ण
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को बताया है" । तैत्तिरीयारण्यक में नारायण को सवगुण सम्पन्न कहा है" । महाभारत के नारायणीय उपाख्यान में नारायण को सर्वेश्वर का रूप दिया गया है । महाभारत के अनुसार मार्कण्डेय ने युधिष्ठिर को बताया कि जनार्दन ही स्वयं नारायण हैं । वासुदेव और अर्जुन का महाभारत में कई स्थानों पर नर और नारायण के रूप में निर्देश है २ ।
कृष्णचरित्र का वर्णन कुछ पुराणों में विस्तार से और कुछ पुराणों में संक्षेप से आया है । निम्नलिखित पुराणों में कृष्णचरित्र का वर्णन विस्तार से आया है- पद्मपुराण, वायुपुराण, वामनपुराण, कूर्मपुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण, हरिवंशपुराण और श्रीमद्भागवत ।
ब्रह्मपुराण में कृष्ण की कथा विस्तार से दी गई है । पद्मपुराण के पातालखण्ड में कृष्णचरित का वर्णन आया है । श्रीकृष्ण के माहात्म्य का प्ररूपण ६६ वें अध्याय से ७२ वें अध्याय तक है और ७३ से ८३ अध्याय तक वृन्दावन आदि का माहात्म्य और कृष्णलीला का वर्णन है ।
विष्णुपुराण के चोथे अंश के १५ वें अध्याय में श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन है और पांचवें अंश में कृष्ण का चरित्र विशेष रूप से दिया है और उनकी लीलाओं के साथ रास का भी वर्णन दिया है ।
श्रीमद्भागवत में कृष्ण को परम ब्रह्म बताया गया है । सत्तरहवें और उन्नीसवें अध्याय में गोपों और गायों को दावानल से बचाने का उल्लेख है । इक्कीसवें अध्याय में वेणुगीत है। बावीसवें अध्याय में चीर-हरणलीला का वर्णन है । गीता और भागवत दोनों ने श्रीकृष्ण को ज्ञान, शांति, बल, ऐश्वर्य, वीर्य और तेज - इन छह गुणों से विशिष्ट माना है । श्रीमद्भागवत में कृष्ण के रूपों का चित्रण इस प्रकार हुआ है — १ अद्भुतकर्मा असुर संहारक कृष्ण, २ बाल
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६०. ऋग्वेद १२।६।१, १२।१० ६० ।
६१. तैत्तिरीयारण्यक १०।११ ।
६२. महाभारत वनपर्व १६-४७ तथा उद्योगपर्व ४६ - १ ।
६३. श्री मद्भागवत दशमस्कन्ध ८-४५, ३-१३, २४-२५ ।
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