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भारतीय साहित्य में श्रीकृष्ण
१६६ नेमिनाथ चरित्र- इसके रचयिता तिलकाचार्य हैं। और दूसरे एक नेमिनाथ चरित्र के रचयिता भोजराज हैं।
शत्र जय माहात्म्य-इसके सर्ग १०-१२ में कृष्ण चरित्र का आलेखन हुआ है ।२८
इनके अतिरिक्त भी प्रस्तुत विषय के अनेक ग्रंथ हैं।
हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी, कन्नड आदि प्रान्तीय भाषाओं में जैन लेखकों के द्वारा श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों पर विपल साहित्य लिखा गया है। ज्यों-ज्यों प्राचीन हस्त लिखित भण्डारों की अन्वेषणा की जारही है त्यों-त्यों नित्य नवीन सामग्री प्रकाश में आ रही है। स्थानाभाव और साधनाभाव के कारण उन सभी का परिचय देना संभव नहीं है । तथापि संक्षेप में कुछ परिचय दिया जारहा है । ____ अमम स्वामी चरित्र-इसके लेखक मुनिरत्नसूरि हैं। उन्होंने १२५२ में प्रस्तुत ग्रंथ की रचना की है । इसमें श्री कृष्ण अमम स्वामी नाम से भावी तीर्थकर होने वाले हैं उनका परिचय दिया गया हैं, श्रीकृष्ण का जीवन विस्तार से आया है, साथ ही उनके पूर्व भव का भी उल्लेख है। श्रीकष्ण के पूर्वभवों का विस्तार से उल्लेख इसी ग्रन्थ में हुआ है।
नेमिनाथ रास-इसके रचयिता सुमतिगणी हैं। उन्होंने सं० १२७० में प्रस्तुत रास की रचना की है। इस रास की हस्तलिखित प्रति जेसलमेरदुर्ग में अवस्थित भण्डार में है ।२५
गयसूकूमाल रास-इसके रचयिता श्री देल्हण हैं। इनका रचनाकाल सं० १३१५-२५ के बीच अनुमान किया जाता है। इस रास की सं० १४०० की एक प्रति जेसलमेर के भण्डार में उपलब्ध है और अभयजैन ग्रन्थालय बीकानेर में भी है।
२७. श्री मान चन्द वेलचन्द सूरत से ई० सन् १९२० में प्रकाशित
हुआ । २८. इन सभी के परिचय के लिए देखें जैन संस्कृत साहित्य नो इतिहास .: प्रो० हीरालाल रसिकदास कापडिया भाग-२ । २६. जिनवाणी-सितम्बर १६६६ में प्रकाशित ।
जैन कृष्ण साहित्य-महावीर कोटिया का लेख ।
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