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________________ १६८ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण लगभग) भट्टारक धर्मकीर्ति का हरिवंशपुराण (सं० १६७१) भी सुन्दर कृतियां हैं। श्वेताम्बर परम्परा में त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र एक महत्वपूर्ण रचना है । यह विराट्काव्य ग्रन्थ है । इसके रचयिता आचार्य हेमचन्द्र हैं जो कलिकालसर्वज्ञ के नाम से विश्रुत हैं । डाक्टर व्हीलर के अभिमतानुसार विक्रम सं० १२१६ से १२२६ के मध्य में इस ग्रन्थ की रचना हुई । इसके आठवें पर्व में भगवान् नेमिनाथ कृष्ण, बलभद्र और जरासंध का विस्तृत वर्णन है । श्री कल्याणविजय जी के शिष्य ने ५० पद्यों में त्रिषष्टि शलाका पंचाशिका की रचना की है और किसी अन्य अज्ञात लेखक ने तेतोस गाथाओ में त्रिषष्टि शलाका पुरुष विचार लिखा है । भगवान् अरिष्टनेमि और श्री कृष्ण का जीवन मिला-जुला जीवन है | अतः भगवान् नेमिनाथ के ग्रंथ लिखे गये हैं उनमें श्री कृष्ण का जीवन आ ही जाता है । नेमिनाथ चरित्र - यह द्विसधान काव्य रूप चरित्र द्रोणाचार्य के शिष्य सूराचार्य ने सं० १०६० में रचा है । नेमिनिर्वारण काव्य – यह वाग्भट्टालंकार के कर्ता वाग्भट्ट की रचना है जो 'काव्यमाला' में ई० सं० १८६६ में प्रकाशित हुई है । अरिष्टनेमि चरित्र — इसके रचयिता रत्नप्रभसूरि हैं । १२२३ में इसकी रचना हुई । नेमिनाथचरित्र - विजयसेनसूरि के शिष्य उदयप्रभ सूरि का है । वि० सं० १२८५ में प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की गई है । नेमिनाथ चरित्र - ( महाकाव्य ) इसके लेखक कीर्तिराज हैं । रचना संवत् १४६५ है । २६ अरिष्टनेमि चरित्र - विजयगणी ने वि० सं० १६६८ में इसकी रचना की है । नेमिनाथ चरित्र - यह गद्यमय है, इसके रचयिता गुणविजय गणी है । २७ नेमिनाथ चरित्र - वह वज्रसेन के शिष्य हरि की रचना है । २६. यशोविजय ग्रन्थमाला द्वारा वीर सं० २४४० में प्रकाशित हुआ । Jain Education International एक दूसरे से सम्बन्ध में जो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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