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| ग्यारह
धर्मप्रर्वतक महापुरुषों को यहां की जनता, सर्वोत्कृष्ट आराध्य व पूज्य मानती रही है। उनका जहां भी जन्म हुआ, तपस्या व साधना की, जहां-जहां भी धर्मप्रचार किया एवं सिद्धि या निर्वाण प्राप्त किया वे सभी स्थान उन महापुरुषों की पावन स्मृति में तीर्थ' रूप में मान्य हए । भगवान अरिष्टनेमि का जन्मस्थान शौरीपुर एवं दीक्षा, केवलज्ञान एवं निर्वाण स्थान गिरनार तीर्थ रूप में मान्य हुए, उनकी जन्मतिथि, दीक्षा, केवलज्ञान एवं निर्वाण तिथि कल्याणक के रूप में मान्य हुई। उनके माता पिता भो, महापुरुषों के जन्मदाता के रूप में यशोभागी बने । महापुरुषों की वाणी का तो अत्यधिक आदर होना स्वाभाविक ही है। वास्तव में कल्याण पथ-प्रदर्शक उस वाणी ने असंख्य व्यक्तियों का उद्धार किया है। उनके मंगलमय व प्रेरणादायक प्रवचनों में दुष्टजनों को शिष्ट बना दिया, पापी को धर्मी और पतित को पावन बना दिया। अत: महापुरुषों के प्रति आदर और भक्ति-भावना होना बहुत ही
आवश्यक एवं उपयोगी है। महापुरुषों के जीवन प्रसंगों से जो बोध-पाठ मिलता है, वह अन्य हजारों ग्रन्थों से भी नहीं मिल सकता । इसलिए उनके पावन चरित्र एक नहीं, अनेकों लिखे गये। उनके गुणवर्णन एवं स्तृतिरूप में हजारों-लाखों रचनाएं भारत के कोने-कोने में और सभी प्रकार की भाषाओं में रची जाती रही हैं।
भगवान अरिष्टनेमि का जीवन चरित्र भी बड़ा प्रेरणादायक रहा है । उनका पशुओं की करुण पुकार सुनकर बिना ब्याहे ही ससुराल से लौट जाना और सर्व संग परित्याग करके साधकीय-दीक्षा ग्रहण कर लेना तो प्रेरणादायक है ही, पर सती राजुल या राजमती ने भी जो सतीत्व का उज्ज्वल आदर्श उपस्थित किया वह संसारी जनों को भी बहुत ही आकर्षक व आदरणीय है, फलतः नेमि-राजुल के प्रसंग को लेकर सैकड़ों बारह-मासे लिखे गये। रास, चौपाई, लुहर, स्तवन सज्झाय गीत आदि विविध प्रकार की रचनाएं हजारों की संख्या में प्राप्त हैं। घर-घर में व जन-जन के कंठ में नेमि-राजीमती के पावनगीत गाये जाते रहे हैं । ऐसे महान तीर्थंकर का जीवन चरित्र आधुनिक शैली में लिखा जाना बहुत ही आवश्यक था। यह आवश्यक-शुभकार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी द्वारा सम्पादित हुआ देखकर अवश्य ही प्रसन्नता होती है । पुरानी शैली के जीवन चरित्र तो अनेकों लिखे जा चुके हैं। पर आज के शिक्षित व्यक्तियों के लिए पठनीय ग्रन्थ लिखा जाना बहुत आवश्यक था जिसकी पूर्ति बड़े सुन्दर रूप में प्रस्तुत ग्रन्थ द्वारा ही देखकर बड़ा हर्ष हो रहा है।
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