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रापंथी मुनि
तेरापंथ सम्प्रदाय के अनेक आधुनिक मुनियों ने भी प्राकृत भाषा में लिखा है। 'रयणवालकहा' प. चन्दन मुनि जी की एक श्रेष्ठ रचना है ।
राजस्थानी जैन श्वेताम्बर परम्परा के श्रमणों ने जितना साहित्य लिखा है उतना आज उपलब्ध नहीं है। कुछ तो मुस्लिमयुग के धर्मान्ध शासकों ने जन शास्त्र-भण्डारों को नष्ट कर दिया और कुछ हमारी लापरवाही से हजारों ग्रन्थ चूहों, दीमक एवं शीलन से नष्ट हो गये । तथापि जो कुछ अवशिष्ट हैं उन ग्रन्थों को आधनिक दृष्टि से सम्पादन कर प्रकाशित किये जाये मोर ग्रन्थ-भण्डारों की सूचियां भी प्रकाशित की जाये तो अनेक अज्ञात महान साहित्यकारों का सहज रूप से पता लग सकता है।