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________________ मानदेवरि 45 मानदेवसूरि का जन्म नाडोल में हुआ । उनके पिता का नाम घनेश्वर और माता का नाम धारणी था । इन्होंने 'तिजयपहुत' नामक स्तोत्र की रचना की। 1 नेमिचन्द्र भण्डारी नेमिचन्द्र भण्डारी ने प्राकृत भाषा में 'षष्टिशतक प्रकरण' जिनवल्लभसूरि गुणवर्णन एवं पार्श्वनाथ स्तोत्र आदि रचनाएं बनाई हैं । 2 राजेन्द्रसूरि श्री राजेन्द्रसूरि ने 'अभिधान राजेन्द्र कोष' और अन्य अनेक ग्रन्थों का सम्पादन - लेखन किया है । स्थानकवासी मुनि राजस्थान के स्थानकवासी जैन श्रमणों ने भी प्राकृत भाषा में अनेक ग्रन्थों की रचनाएं की हैं किन्तु साधनाभाव से उन सभी ग्रन्थकारों का परिचय देना सम्भव नहीं है । श्रमण हजारीमल जिनकी जन्मस्थली मेवाड़ थी उन्होंने 'साहुगुणमाला' ग्रन्थ की रचना की थी । जयमल सम्प्रदाय के मुनि श्री चं नमल जी ने श्रीमद्गीता का प्राकृत में अनुवाद किया था। पं. मुनि लालचन्द जी 'श्रमण लाल" ने भी प्राकृत में अनेक स्तोत्र आदि बनाए हैं। पं. फूलचन्द जी. म. पुष्कभिक्खु ने सुतागमं का सम्पादन किया और अनेक लख आदि प्राकृत में लिख राजस्थान केसरी पुष्कर मुनिजी ने भी प्राकृत भाषा में निबन्ध और स्तोत्र लिखे हैं । ह | पा श्राचार्य घासीलाल जी म. एक प्रतिभा सम्पन्न सन्त - रत्न थे । उनका जन्म सं. 1941 में जसवन्तगढ़ मेवाड़ में हुआ । उनकी मां का नाम विमला बाई और पिता का नाम प्रभुदत जवाहराचार्य के पास आती दीक्षा ग्रहण की । आपने आगमों पर संस्कृत भाषा में टीकाएं लिखी और शिवकोश, नानार्थ उदयसागर कोश, श्रीलालनाममाला कोश, आर्हत व्याकरण, श्रत लघु व्याकरण, ग्रार्हत सिद्धान्त व्याकरण, शांति-सिन्धु महाकाव्य, लोकाशाह महाकाव्य, जैनागमतत्वदीपिका, वृत्तबोध, तत्वप्रदीप, सूक्तिसंग्रह, गृहस्थ कल्पतरु, पूज्य श्रीलालकाव्य, नागाम्बरमज्जरी, लवजी-मुनि काव्य, नव स्मरण, कल्याणमंगल स्तोत्र, वर्धमान स्तोत आदि संस्कृत भाषा में मौलिक ग्रन्थों का निर्माण किया और तत्वार्थसूत्र, कल्पसूत्र और प्राकृत व्याकरण आदि अन ेक ग्रन्थ प्राकृत भाषा में भी लिखे हैं । 26. प्रभावक चरित्र भाषान्तर पृष्ठ 187, प्र. प्रात्मानन्द जैनसभा, भावनगर वि. सं. 1987 में प्रकाशित । (ख) जैन परम्परा नो इतिहास, भाग 1 पृष्ठ 359 से 361 | 27. मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दि स्मृति ग्रन्थ ।
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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