________________
381
8. ताराचन्द तातेर संग्रह, हनुमानगढ़ (वीरायतन को प्रदत्त) । 9. वेदों का पुस्तकालय, रतनगढ़ ।
उक्त शास्त्र भण्डारों में भारतीय साहित्य एवं संस्कृति का अमूल्य संग्रह बिखरा हमा
2. जोधपुर संभाग के ज्ञान भण्डार :
जोधपुर राजस्थान की ऐतिहासिक नगरी है। इसकी स्थापना राठौड़ जोधाजी ने की थी। इसकी पुरानी राजधानी मण्डौर थी। यहां श्वेताम्बर जैनियों की अधिकता है। वर्तमान में कई मन्दिर, दादावाड़ियां, उपासरे और स्थानक हैं। कई मन्दिरों व उपासरों में ज्ञानभण्डार विद्यमान हैं जिनमें सहस्रों की संख्या में हस्तलिखित पाण्डुलिपियां उपलब्ध हैं। केसरियानाथजी मन्दिर में स्थित ज्ञानभण्डार में लगभग 2000 पाण्डलिपियां संग्रहीत हैं । इनमें सुरचन्द्र उपाध्याय रचित स्थलिभद्र गणमाला काव्य आदि की दुर्लभ पाण्ड लिपियां प्राप्त हैं। कोटड़ी के ज्ञानभण्डार में लगभग एक हजार प्रतियां और जिनयशस्सरि ज्ञानभण्डार में अच्छा साहित्य संग्रहीत है। जयमल ज्ञानभण्डार, जैनरत्न पुस्तकालय, मंगलचन्द्रजी ज्ञानभण्डार आदि में भी अच्छा संग्रह है।
राजस्थान राज्य सरकार द्वारा स्थापित राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान का मख्य कार्यालय यहां है। इस प्रतिष्ठान का विशाल हस्तलिखित ग्रन्थागार है। जिसमें लगभग 45,000 हस्तलिखित प्रतियां सुरक्षित हैं। इनमें से लगभग 30,000 जैन पाण्डुलिपियां हैं । इस प्रतिष्ठान में अनेक दुर्लभ प्रतियां हैं जिनका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं भाषावैज्ञानिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस प्रतिष्ठान की अन्य शाखाएं बीकानेर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, कोटा, टोंक, जयपूर और अलवर में स्थित हैं जिनमें लगभग 65,000 हस्तलिखित ग्रंथ संग्रहीत हैं। राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी में भी 17 हजार हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है।
जोधपुर के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी हस्तलिखित ग्रंथों को संग्रह करने का कार्य हा है इनमें पीपाड सिटी का जयमल ज्ञान भण्डार, यति चतुरविजयजी का संग्रह, सोजतसिटी का रघनाथ ज्ञान भण्डार, पाली स्थित श्री पुज्यजी का संग्रह, जैन स्थानक, खरतरगच्छ व तपागच्छ मन्दिर, उपासरे के भण्डार, बालोतरा का यति माणक चन्दजी का संग्रह, बाड़मेर का यति नेमिचन्द्रजो का संग्रह, घाणेराव का हिमाचलसूरि का ज्ञान भण्डार, प्रोसियां के जैन विद्यालय में स्थित भण्डार, फलौदी के तीन छोटे ज्ञानभण्डार, मेड़ता का पंचायती ज्ञान भण्डार, सिरोही का तपागच्छीय भण्डार, जालौर का मुनि कल्याणविजयजी का संग्रह, आहोर का राजेन्द्र सुरि का ज्ञान भण्डार आदि उल्लेखनीय हैं।
उदयपुर के शास्त्र भण्डार :
राजस्थान के पश्चिमी भाग में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ आदि प्रदेशों का भाग जैन संस्कृति, साहित्य एवं पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेश माना जाता है। चित्तौड़, सागवाड़ा, डूंगरपुर, ऋषभदेव जैसे नगर जैन सन्तों के केन्द्र रहे हैं। इन नगरों में