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बाबा दुलीचन्द का शास्त्र भण्डार भी एक ही व्यक्ति द्वारा स्थापित एवं संकलित शास्त्र भण्डार है, जिसकी स्थापना सन् 1854 में बाबा दुलीचन्द ने की थी । वे पूना जिले के निवासी थे लेकिन बाद में जयपुर ग्राकर रहने लगे थे । भण्डार में 850 हस्तलिखित प्रतियों का संग्रह | कुछ पाण्डुलिपियां स्वयं बाबा दुलीचन्द ने लिखी थीं तथा शेष ग्रन्थ उन्होंने विभिन्न स्थानों से संग्रहीत किये थे ।
धीचन्द जी के मन्दिर का शास्त्र भण्डार पाण्डुलिपियों की संख्या की दृष्टि में ही नहीं " किन्तु उनकी प्राचीनता एवं प्रज्ञात ग्रन्थों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । इसमें 1278 प्रतियों का संग्रह है । जिनमें महाकवि स्वयम्भू रचित रिट्ठणोमि चरिउ, सधारु कवि कृत प्रद्युम्न चरित के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं । भण्डार में सकलकीर्ति छोहल, ठक्कुरसी, जिनदास, पूनों एवं बनारसी दास की हिन्दी रचनाओं का अच्छा संग्रह है ।
ठोलियों के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में भी 628 पाण्डुलिपियां एवं 125 गुटके हैं । इस भण्डार में हिन्दी कृतियों का अच्छा संकलन है जिनमें भट्टारक शुभचन्द ( 16वीं शताब्दी ), हेमराज ( 7वीं शताब्दी), रघुनाथ ( 17 वीं शताब्दी ), ब्रह्म जिनदास ( 15वीं शताब्दी), ब्रह्म ज्ञान सागर ( 17वीं शताब्दी), पद्यनाभ ( 16 वीं शताब्दी) की रचनायें विशेषतः उल्लेखनीय हैं।
उक्त शास्त्र भण्डारों के अतिरिक्त नगर में और भी शास्त्र भण्डार हैं जिनमें पाण्डुलिपियों का निम्न प्रकार संग्रह है :
भण्डार का नाम
पाण्डुलिपियों की संख्या
(1) श्री चन्द्रप्रभ सरस्वती भण्डार
( 2 ) जोबनेर के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
(3) पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन सरस्वती भवन
( 4 ) गोधों के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
(5) संधीजी के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
(6) दि. जैन मन्दिर लश्कर के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
( 7 ) नया मन्दिर का शास्त्र भण्डार
( 8 ) चौधरियों के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
( 9 ) काला छाबडों के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
( 10 ) मेघराज जी के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
( 11 ) यशोदानन्द जी के मन्दिर का शास्त्र भण्डार
दिगम्बर जैन मन्दिरों एवं महावीर भवन के संग्रह के अतिरिक्त यहां लाल भवन में भी हस्तलिखित ग्रन्थों का महत्वपूर्ण संग्रह है । आचार्य श्री विनय चन्द्र ज्ञान भण्डार की ग्रन्थ सुची
830
340
558
718
979
828
150
108
410
249
398