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________________ 365 का जामा पहना रहा है और उन कथाओं में निहित शाश्वत मानवीय प्रादर्शो को प्रस्तुत कर नैतिक जागरण का जो प्रयत्न कर रहा है, उसका इस उपन्यास से आभास किया जा सकता है । कमला जैन 'जीजी' का उपन्यास 'अग्निपथ' जैन साध्वी श्री उमरावकुंवर जी 'अर्चना' की जीवन कथा पर आधारित है । इस महिमावान, परम विदुषी, महान तपस्विनी साध्वी का प्रदर्श जीवन प्रस्तुत कर लेखिका ने सामाजिक नैतिक जागरण को ही दिशा दी है । पवित्र आत्माओं के चरित्र हमारे लिए दीप-स्तम्भ है, जो ज्ञान की अंधियारी में भटकती मानवता को प्रकाश देते हैं । इस कृति की यह विशिष्टता है कि प्रत्यक्ष में जीए गए जीवन को सहज, सरल और रोचक औपन्यासिक शैली में सफलता पूर्वक प्रस्तुत किया गया है। श्री ज्ञान भारिल्ल का उपन्यास 'तरंगवती' एक प्राचीन जैन कथा का श्रात्म कथात्मक उपन्यास के रूप में किया गया रूपान्तर है । प्राचार्य पादलिप्त द्वारा मूल प्राकृत में लिखी गई इस कथा से पुनर्जन्म के सिद्धान्त की रोचक पुष्टि हुई है । लघु उपन्यास की दृष्टि से प्रस्तुत लेखक के दो उपन्यास 'आत्मजयी' और 'कूणिक' प्रकाश में आए हैं। 'आत्मजवी' में तीर्थ कर महावीर की जीवन घटनाओं को बौद्धिक व मनोवैज्ञानिक धरातल पर प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है । । उपन्यास द्वारा महावीर स्वामी के महामानव रूप और उन द्वारा प्रचारित धर्म का लोक कल्याणकारी स्वरूप प्रकट हुआ है। 'कूणिक' में जैन परम्परा में उपलब्ध प्रजात शत्रु के राज्य ग्रहण की घटना को आधार बनाकर पिता-पुत्र सम्बन्धों के भावनात्मक स्वरूप व आदर्श को वाणी दी गई है. जिसकी प्राज के घोर व्यक्तिगत स्वार्थी से परिचालित जीवन में नितांत आवश्यकता है । ऊपर जिन कतिपय कृतियों का परिचय दिया गया है, उसके आधार पर हम जैन उपन्यासों की प्रवृत्तियों का निम्न प्रकार उल्लेख कर सकते हैं : --: 1. प्राधुनिक जैन उपन्यास का कथासूत्र परम्परागत स्रोतों से प्राप्त किया जाता है । यही एक बडा आधार है जिस कारण हम इस प्रकार की कृतियों को जैन उपन्यास कह सकते हैं । गया है । 2. परम्परागत कथा सूत्र को कथाकारों ने नया रूप, नई शैली व नवीन विचारों से अनुप्राणित किया है । 3. उपन्यासों में याधुनिक संदर्भ तथा आज के युग की समस्याओं को भी प्रस्तुत किया 4. इन उपन्यासों का उद्देश्य नैतिक आदर्श प्रस्तुत कर पाठक को चरित्र निर्माण की दिशा संकेत करना है । 5. ये उपन्यास सुन्दर साहित्यिक कृतियां हैं जिनमें आधुनिक औपन्यासिक शैली का सफल निर्वाह हुआ है। कहानी-लघु कथाएं: कतिपय संकलन हैं कहानी संकलन अपेक्षाकृत अधिक परिमाण में प्रकाशित हुए हैं। कुछ मणियां कुछ पत्थर - डा. नरेन्द्र भानावत, बदलते क्षण - महावीर कोटिया, धार्मिक कहानियां
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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