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________________ 350 7. बंद बंद बन गई गंगा--साध्वी संघमित्राः-प्रस्तुत कृति में साध्वी प्रमुखा लाडांजी के जीवन-प्रसंग, व्यक्तित्व-दर्शन और उनका कर्तत्व बोलता है। साथ में साध्वी प्रमुखा के प्रति साध-साध्वियों तथा श्रावक-श्राविकाओं की श्रद्धान्जली भी संकलित है। अणुव्रत साहित्यः-- ___ 1. अणुव्रत के संदर्भ में--प्राचार्य तुलसी:-प्रस्तुत पुस्तक प्रश्नोत्तरात्मक हैं। इसमें धर्म, नैतिकता, आर्थिक विषमता, राष्ट्र की प्रवृत्ति, चन्द्रलोक, शोषण विहीन समाज, साधु संस्था आदि सम सामयिक अनेक प्रश्नों को उपस्थित किया गया है और उनका अणुव्रत के संदर्भ में प्राचार्यश्री तुलसी से समाधान लिया गया है। 2. नैतिकता का गुरुत्वाकर्षण--मुनि नथमल:-प्रस्तुत कृति में नैतिकता के मूलभूत प्रश्नों को उपस्थित कर वर्तमान के संदर्भ में नैतिकता की मान्यताओं पर अणुव्रत के माध्यम से चिन्तन प्रस्तुत किया गया है। इसमें अणुव्रत को वैचारिक धरातल पर उपस्थित कर वर्तमान के वादों में अणुव्रत की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है। 3. प्रश्न और समाधान--मुनि सुखलालः-विश्व संघ और अणुव्रत, युवक समाज और अणुव्रत, अस्पृश्यता और अण व्रत, अणवतों का रचनात्मक पक्ष, राजनीति और अणुव्रत आदि वर्तमान के संदर्भ में उपस्थित होने वाले प्रश्नों को उपस्थित कर अणुव्रत आन्दोलन के प्रवर्तक प्राचार्य श्री तुलसी से समाधान लिए गए हैं। 4. अणुव्रत दर्शन--मुनि नथमल:-आज का युग नैतिक समस्या का युग है। कुछ विकासमान गरीब देशों में अर्थ विषयक अनैतिकता चल रही है। मानवीय घणा के रूप में समाज विषयक अनैतिकता विकसित और अविकसित दोनों प्रकार के देशों में चलती है। राजनीति विषयक अनैतिकता की भी यही स्थिति है। यह बहुरूपी अनैतिकता मानवीय दष्टिकोण आध्यात्मिक समानता की अनुभूति होने पर ही मिट सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में इन दोनों दृष्टिकोणों से अनैतिकता की चर्चा की गई हैं । 5. अणुव्रत विचार दर्शन-मुनि बुद्धमल:-प्रस्तुत पुस्तक में अणुव्रत आन्दोलन के विचार पक्ष के परिप्रेक्ष्य में लिखे गए 16 निबन्धों का संकलन है । 6. अणुव्रत जीवन दर्शन--मुनि नगराजः-प्रस्तुत पुस्तक में अणुव्रत आन्दोलन के प्रत्येक नियम में अन्तहित सूक्ष्मतम भावनाओं का विस्तार पूर्वक विवेचन किया गया है। अन्त में अणुव्रतियों के जीवन संस्मरण भी प्रस्तुत किए गए हैं। 7. अणुव्रत दृष्टि--मुनि नगराज:-अणुव्रत के निययों की विस्तृत व्याख्या के रूप में प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है । ___8. अणु से पूर्ण की ओर--मुनि नगराजः-प्रस्तुत पुस्तक रोटरी क्लबों आदि विभिन्न स्थलों पर दिए गए अणुव्रत सम्बन्धी भाषणों का संकलन है। 9. अणुव्रत विचार:--मुनि नगराजः-दैनिक पत्रों में प्रकाशित अणुव्रत सम्बन्धी भाषणों का संकलन है। 10. अणुव्रत क्रान्ति के बढते चरण-मुनि नगराजः-इसमें अणुव्रत के उद्गम और उसके क्रमिक विकास का ब्यौरा प्रस्तुत है।
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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