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________________ 285 हो जाने से निर्णयसागर प्रेस बम्बई द्वारा प्रकाशित हुई थी। इस विशालकाय पुस्तक में लेखक ने वर्ण विचार, व्याकरण, नीति, गृहस्थ धर्म, वैद्यकशास्त्र, रोग परीक्षा, प्रोसवंश और गोत्रों की उत्पत्ति, सामान्य ज्योतिष, स्वरोदय, शकुन विचार आदि अनेक विषयों का विस्तार से पालेखन किया है। गृहोपयोगी इतने विषयों का एक ही प्रथ में समावेश अन्यत्र दुर्लभ है। 46. आत्मारामजी (विजयानन्दसूरि) ये तपागच्छीय श्री बूटेराय जी के शिष्य थे। इनका जन्म तो पंजाब में सं. 1893 में हुआ था। मूलतः स्थानकवासी सम्प्रदाय में दीक्षित हुए थे। बाद में मूर्तिपूजक सम्प्रदाय में पुनःदीक्षा ग्रहण करली थी। इन्होंने पंजाब, राजस्थान और गुजरात में अधिक विचरते हुए जैन धर्म का अच्छा प्रचार किया था। इनके रचित "जैन तत्वादर्श, अज्ञान तिमिर भास्कर, तत्व निर्णय प्रसाद, सम्यक्त्व शल्योद्धार" आदि बड़े-बड़े ग्रंथ हैं। सं. 1940 बीकानर में रचित इनकी केवल 'बीस स्थानक पूजा' ही प्राप्त है। इन्हीं के पट्टधर प्राचार्य विजयवल्लभसूरि प्रसिद्ध प्राचार्य हुए। इन्होंने राजस्थान में रहते हुए चौदह राजलोक पूजा 1977 खुडाला, पंच ज्ञान पूजा 1978 बीकानेर और सम्यग् दर्शन पूजा सं. 1978 बीकानेर, रचनायें की हैं । 47. विजयराजेन्द्रसूरि ___ इनका जन्म सं. 1833 में भरतपुर में हुआ था। पहले आप यति थे, बाद में सं. 1925 में क्रियोद्धार करके संविग्न साधु बने। आपसे त्रि-स्तुतिक सम्प्रदाय का प्रादुर्भाव हुआ। इनका सब से बड़ा काम "अभिधान राजेन्द्र कोष' प्राकृतशब्दों का कोष सात भागों में है। राजस्थान और मालवा में आप अधिक विचरे। आपकी हिन्दी रचनायें निम्न हैं: 1. कल्पसूत्र बालावबोध, सं. 1940, 8. प्रभु स्तवन सुधाकर, 2. पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान, सं. 1927, 9. महावीर पंच कल्याणक पूजा, 3. धनसार अघट कुमार चौपाई, सं. 1932, 10. कमलप्रभा, 4. तत्व विवेक सं . 1945, 11. देववंदन माला, 5. पंच सप्तति शतस्थान चतुष्पदी, सं. 1946, 12. सिद्धचक्र पूजा 6. जिनोपदेश मंजरी, 13. 108 बोल का थोकडा, 7. प्रश्नोत्तर पुष्पवाटिका, सं. 1936, 14. शुद्धरहस्य, आदि । 48. चिदानन्दजी ये खरतरगच्छ में श्री शिवजीराम जी और सुखसागर जी से प्रभावित होकर दीक्षित हुए और गहन अध्ययन कर इन्होंने कई ग्रन्थों की रचनायें कीं। इनकी दीक्षा सं. 1935 में हुई थी
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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