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________________ 22 राजस्थान इस्लाम धर्म के प्रभाव से भी अछूता नहीं रहा। यहां 12वीं शती से इसका विशेष प्रसार हया। अजमेर इसका मख्य केन्द्र बना और यहीं से जालौर, नागौर, मांडल, चित्तौड़ आदि स्थानों में यह फैला। राजस्थान में इसके प्रचारक संतों में मुइनुद्दीन चिश्ती प्रमुख थे। सम्पूर्ण भारत में मध्ययुग में धर्मसुधार आन्दोलन की जो लहर फैली, उससे राजस्थान भी प्रभावित हुआ और रूढ़िवाद, बाह्य आडम्बर तथा जड़ पूजा के खिलाफ क्रांति चेतना मुखरित हो उठी। इस नई धार्मिक चेतना ने एक अोर गोगाजी, पाबजी, तेजाजी जैसे लोकदेवों को अपने प्रतिज्ञापालन, आत्मबलिदान तथा सदाचारनिष्ठ सादगीमय जीवन के कारण सम्मान प्रदान किया तो दूसरी ओर जाम्भोजी, जसनाथजी, दादूजी जैसे विशिष्ट संत पुरुषों को प्रकट किया जिन्होंने धर्म को बाद्याचार से प्रात्मशद्धि और आन्तरिक पवित्रता की ओर मोड़ा। इन संतों ने प्रात्म-साधना और प्रात्म-कल्याण के सिद्धांतों की व्याख्या बोल-चाल की भाषा में की। राजस्थान में पनपने वाले ऐसे मख्य जैनेतर संत सम्प्रदायों की तालिका इस प्रकार है:-- नाम प्रवर्तक समय प्रधान स्थल विक्रम संवत् 1. विश्नोई सम्प्रदाय जांभोजी 1508-93 मुकाम (बीकानेर) 2. जसनाथी सम्प्रदाय जसनाथजी 1539-63 कतरियासर (बीकानेर) 3. निरंजनी सम्प्रदाय हरिदासजी 1512-95 डीडवाना (नागौर) 4. लाल पंथ लालदासजी 1597-1705 नगला (अलवर) 5. दादू पंथ या ब्रह्म दादू 1601-6) नराणा (जयपुर) सम्प्रदाय 6. रामस्नेही: दरियावजी 1733-1815 रैण (नागौर) रणशाखा 7. रामस्नेही : हरिरामदासजी __1754-1835 सीथल (बीकानेर) सीथल शाखा 8. रामस्नेही : रामदासजी 1783-1855 खेड़ापा (जोधपुर) खंडापा शाखा 9. रामस्नेही: रामचरणदासजी __1776-1855 शाहपुरा (भीलवाड़ा) शाहपुरा शाखा 10. चरणदासजी सम्प्रदाय चरणदासजी 1760-1839 डेहरा (अलवर) 11. जहरि सम्प्रदाय तारणदासजी 1822-1932 रतनगढ़ 12. अलखिया लालगिरि 1860-1925 बीकानेर सम्प्रदाय 13. गूदड़ पंथ संतदासजी -1822 दांतड़ा (मेवाड़) 14. भाव पंथ भावजी 1771-1801 साबमा (डूंगरपुर) 15. आईपथ पाईमाता 1472-1561 बिलाड़ा (जोधपुर) 16. नवल पंथ नवलनाथजी 1840-1965 जोधपुर
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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