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मो तत्व और छ: द्रव्यों का दृष्टान्तों द्वारा इसमें सरल विवेचन किया गया है। पित (मर्यादा पत्र):
प्राचार्य सन्त भीखण जी ने नवीन धर्म-संघ को मर्यादित एवं संगठित रखने की दष्टि से समय-समय पर जो लिखित मर्यादायें स्थापित की, उन्हें सामूहिक रूप से इस शीर्षक के अन्तर्गत साता । ऐसे कुल 24पन्न हैं। जिनमें नो मर्यादायें संघ के सामहिक स्वरूप को ध्यान में रखते हए है तथा अट्ठाइस मर्यादाएं व्यक्तिगत पत्रों के रूप में साधु विशेष के लिये हैं। इस प्रकार कम 37मर्यादायें लिखत रूप में हैं। सामूहिक मर्यादामों में भीखमजी के हस्ताक्षरों केसाथ-साथ अन्य साधनों द्वारा साक्षियां भी दी गई हैं। प्राज भी इन मर्यादाओं के प्राधार पर
वेसफ्स्वधर्मसंच का संचालन होता है। इन मर्यादा पत्रों को शिक्षा व संघीय नियमों-यनियम भीमसकते हैं। वि. सं. 1832 मृगशिर कृष्णा 7 की प्रथम लिखत (मर्यादा) का एक मंग समका बहावकी स्पष्टता के लिये प्रस्तुत है:
___ "रिष भीषम सबै साधां ने पूछ नै सबै साध साधवियां री मरजादा गांधी है साधां मैं पूछ नै साधां कना थी कहवाय नै ते लिषीये छ। सर्व साध साधवी भारमल बी री धाग्या माह चालणौं। विहार चौमासो करणां तै भारमल जी री प्राग्या सुकरणो। दिव्या देणी ते भारमल जी रे नाम दिष्या देणी। चेलारी कपडारी साताकारीमा तर री प्रादि देई नै ममता करर नै अनंता जीव चारत गमाय नै नरक निनोर या माहे गया छ तिण सू सिषादिक री ममता मिटायवा रो नै चारित थोषों पत्रपरी उपाय कीधौ छ।"
.. मंचम्ब बी स्वामी :--
निवासी और अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे। वि. सं. 1078 द्वितीय पाचार्य भारमलजी के काल में हेमराज जी स्वामी ने इन्हें दीक्षा दी। वि.सं. 1020 में इनका स्वर्गवास हुमा। इस प्रकार कुल 50 वर्ष तक साधु जीवन पाला।
इनकी ध्यान विषयक एक राजस्थानी गद्य कृति उपलब्ध होती है जो 'करमचन्द जी रो यादबवा 'मातम चिन्तण रो ध्यान' के नाम से प्रसिद्ध है। इस कृति में ध्यान करने की विधिपाद सरल रूप में समझाई गई है। रचना के उदाहरण की दृष्टि से ध्यान का प्रारंभ
"पहिला पद्म भासन थिर करि पर्छ मन थिर करि विष कषाय थकी चितनी बार मिटाय नेअंतकरण माय इण तरे ध्यावणों। नमस्कार थावो श्री परतजी त भरतजी केहवा छ। सुरासुर सेवित चरण कमल सर्वज्ञ भगवंत जगन्नाथ बनलीया या तारक। कुगत मारग निवारण । निरवाण मारग पमाडण । निराह निरहंकार ।"
तेरापंथ के तीसरे भाचार्य थे। इनका पूरा नाम रामचन्द्र जी था। वि. सं. 18 बयपुर जिले की बड़ी राबलिया (गांव में) इनका जन्म हुआ। पिता का नाम शाहरोची