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________________ 120 1. प्रादि पुराण भाषा (1797) 2. नेमिनाथ चरित्र भाषा (1735) कक्का बत्तीसी चरखा चउपई 5. चार मित्रों की कथा 6. चौबीस तीर्थकर पूजा 7. चौबीस तीर्थंकर स्तुति 8. जिन गीत 9. जिन जी की रसोई 0. णमोकार सिदि 11. नन्दीश्वर पूजा 12. पंचमेरु पूजा 13. पार्श्वनाथ जी का सालेहा 14. बाल्य वर्णन 15. बीस तीर्थंकरों की जयमाल 16. यशोधर चौपई 17. वंदना 18. शान्तिनाथ जयमाल 19. शिवरमणी विवाह 20. विनती उक्त रचनाओं में काव्यत्व की दष्टि से शिवरमणी विवाह और चरखा चउपई श्रेष्ठ रचनायें हैं। दोनों ही रूपक काव्य हैं। 17 पद्यों के ग्रंथ शिवरमणी विवाह में तीर्थ कर रूपी दल्हा भव्य जनों की बारात के साथ पंचम गति रूपी ससुराल में पहंच कर भक्तिरूपी शिवरमणी से विवाह करते हैं। तदुपरान्त वर-वधु ज्ञान सरोवर में मिलकर तृप्त हो जाते हैं। चरखा चउपई के 12 पद्यों में कवि ने एक ऐसा चरखा चलाने का उपदेश दिया है जिसमें खूटे शील और संयम, ताडियां शभ ध्यान, पाया शक्ल ध्यान, दामन संवर, माल दशधर्म, हाथली चार दान, ताक आत्म सार, सूत सम्यकत्व और कूकडी 12 व्रत हैं। जिन जी की रसोई भी एक सुन्दर रचना है। इसमें जिन को माता द्वारा परोसे गये नाना प्रकार की मिठाई, पकवान्न और फलों की चर्चा करते हये वात्सल्य भाव का प्रतिपादन है। 8. खुशालचन्द्र काला: काला गोत्रीय खुशालचन्द्र के पिता का नाम सुन्दरदास तथा माता का नाम सुजानदे था। खुशालचन्द्र की प्रारम्भिक शिक्षा उनके जन्मस्थान जयसिंहपुरा (जिहानाबाद) में हुई। कालान्तर में भट्टारक देवेन्द्र कीर्ति के साथ सांगानेर आ गये। यहां लक्ष्मीदास चांदवाड से कवि ने शास्त्रज्ञान प्राप्त किया और फिर वापिस जयसिंहपुरा चले गये। ख शालचन्द्र ने अपनी अधिकांश रचनायें यहीं लिखी। रचनायें जैन पुराणों के आधार पर लिखी गई हैं: 1. हरिवंश पुराण (1780) 2. यशोधर चरित्र 3. पद्मपुराण व्रतकथा कोष ( 5. जम्बूस्वामी चरित 6. उत्तरपुराण (1799) 7. सद्भाषितावली
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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