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________________ 8. 9. वर्द्धमान पुराण धन्यकुमार चरित 221 10. शान्तिनाथ पुराण 11. चौबीस महाराज पूजा उक्त सभी रचनायें भाषा एवं काव्य कला की दृष्टि से अच्छी रचनायें हैं । 9. किशनसिंह: किशनसिंह के पिता मथुरादास पाटनी अलीगढ़ रामपुरा जिला टोंक के लब्धप्रतिष्ठ व्यक्ति थे । इन्होंने अलीगढ़ (रामपुरा) में एक विशाल जिन मन्दिर का निर्माण करायः । किशनसिंह के छोटे भाई का नाम श्रानन्दसिंह था । किशनसिंह का साधना स्थल सांगानेर रहा। उन्होंने निम्नांकित रचनायें कीः -- 7. 8. 9. 10. 11. 1. णमोकार रास (1760 ) 2. चौबीस दण्डक (1764) 3. 4. पुण्यास्रव कथा कोष ( 1773) भद्रबाहु चरित्र (1783) पन क्रिया कोष ( 1784 ) 5. 6. लब्धि विधान कथा (1782) निर्वाण काण्ड भाषा (1783) चतुर्विंशति स्तुति चेतन गीत चेतन लोरी पदसंग्रह 10. देवा ब्रह्म: -- इनका श्राविर्भाव 18वीं शताब्दी में हुआ । इनका जन्मस्थान संभवत: जयपुर ही था। बड़ा तेरहपंथी मन्दिर जयपुर में पद संग्रह 946 में देवा ब्रह्म के लगभग 72 पद संग्रहीत है । जिनेन्द्र के चरणों में देवा ब्रह्म का भक्तिभाव बेजोड है । 11. दौलतराम कासलीवाल ( संवत् 1749-1829 ) जैन साहित्य में दौलतराम नामक तीन कवि हुये हैं । एक तो पल्लीवाल- जातीय आगरा के रहने वाले तथा दूसरे बूंदी के । तीसरे दौलतराम ढूंढाड प्रदेश के बसवा ग्राम के निवासी श्रानन्दराम के पुत्र थे । इनका जन्म आषाढ़ की 14, संवत् 1749 को हुआ । दौलतराम क्रे अजीत दास, जोधराज, गुलाबदास आदि छः पुत्र हुये । दौलतराम का जीवन काल बसवा, जयपुर, उदयपुर और आगरा आदि चार स्थानों पर अधिक व्यतीत हुआ। दौलतराम की साहित्यिक रुचि को बढाने में आगरावासी विद्वान् बनारसीदास, भूधरदास और ऋषभदास के सम्पर्क का बड़ा योग रहा है । दौलतराम कासलीवाल जयपुर राज्य के महत्वपूर्ण पद को संभालते हुए भी अध्यात्म प्रवचन, जिनपूजा, शास्त्रचर्चा, गद्यलेखन और काव्यसूजन में बडी रुचि रखते थे । इनकी राजस्थानी गद्य-पद्य में लिखी हुई 18 कृतियां प्राप्त हो
SR No.003178
Book TitleRajasthan ka Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherDevendraraj Mehta
Publication Year1977
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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