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प्रसाद जैन एवं डा. प्रेमसागर भी इसी संवत को सही मानते हैं। लेकिन डा. ज्योतिप्रसाद इनका पूरा जीवन 81 वर्ष स्वीकार करते हैं जो अब लेखक को प्राप्त विभिन्न पट्टावलियों के अनुसार वह सही नहीं जान पड़ता। 'सकलकीर्ति रास' में उनकी विस्तृत जीवन गाथा है । उसमें स्पष्ट रूप से संवत 1443 को जन्म एवं 1499 में मृत्यु तिथि लिखी है ।
राजस्थान में ग्रन्थ भंडारों की जो अभी खोज हुई है उनमें हमें अभी तक निम्न रचनायें उपलब्ध हो सकी है :--
संस्कृत की रचनाएं
मलाचार प्रदीप आदि पुराण शान्तिनाथ चरित्र मल्लिनाथ चरित्र धन्यकुमार चरित्र
सुदर्शन चरित्र 13. पार्श्वनाथ चरित्र 15. नेमिजिन चरित्र 17. तत्वार्थसार दीपक 19. आगमसार 21. सारचतुविंशतिका 23. जम्बूस्वामी चरित्र पूजा ग्रन्थ
2. प्रश्नोत्तरोपासकाचार 4. उत्तर पुराण 6. वर्द्धमान चरित्र
यशोधर चरित्र
सुकुमाल चरित्र 12. सद्भाषितावलि
व्रतकथा कोष कर्मविपाक सिद्धान्तसार दीपक
परमात्मराज स्तोत्र 22. श्रीपाल चरित्र 24. द्वादशानुप्रेक्षा
16. 18.
20.
25. अष्टान्हिका पूजा 27. गणधरवलय पूजा
26. सोलहकारण पूजा
राजस्थानी कृतियां
1. आराधना प्रतिबोध सार 3. मुक्तावलि गीत
सोलह कारण रास 7. शान्तिनाथ फाग
2. नेमीश्वर गीत 4. णमोकार फल गीत 6. सारसीखामणि रास
उक्त कृतियों के अतिरिक्त अभी और भी रचनाएं हो सकती हैं जिनकी अभी खोज होना बाकी है। भट्टारक सकलकीति की संस्कृत भाषा के समान राजस्थानी भाषा में भी कोई बडी रचना मिलनी चाहिये, क्योंकि इनके प्रमुख शिष्य ब्र. जिनदास ने इन्हीं की प्रेरणा एवं उपदेश से राजस्थानी भाषा में 50 से भी अधिक रचनाएं निबद्ध की हैं। अकेले इन्हीं के साहित्य पर एक शोध प्रबन्ध लिखा जा सकता है। अब यहां कुछ ग्रन्थों का परिचय दिया जा रहा है।
1. आदिपुराण--इस पुराण में भगवान् आदिनाथ, भरत, बाहुबलि, सुलोचना, जयकीर्ति आदि महापुरुषों के जीवन का विस्तृत वर्णन किया गया है। पुराण सर्गों में विभक्त है और इसमें 20 सर्ग हैं। पूराण की श्लोक संख्या 4628 श्लोक प्रमाण हैं। वर्णन, शैली सुन्दर एवं सरस है। रचना का दूसरा नाम 'वषभनाथचरित्र' भी है ।