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________________ ६२] तत्त्वज्ञान-स्मारिका उसके पश्चात् श्री गौतम ने त्रिप्रदेशिक (१) त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा के आदेश से स्कंध के विषय में वैसा ही प्रश्न पूछा, उसका आत्मा है । उत्तर निम्न प्रकार से दिया (२) त्रिप्रदेशी स्कंध पर के आदेश से (१) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है। आत्मा नहीं है । (२) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा नहीं है। (३) त्रिप्रदेशी स्कंध तदुभय के आदेश से (३) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् अवक्तव्य है। । अवक्तव्य है । (४) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है और । (४) एक देश सद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट आत्मा नहीं है। है और एक देश असद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट (५) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है और | है। इसलिए त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा है और दो आत्मा नहीं है। आत्मा नहीं है। (६) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् (दो) आत्माएँ (५) एक देश सद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट हैं और आत्मा नहीं है। है और दो देश असद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट ___ (७) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है | है, अतः त्रिप्रदेशीय स्कंध आत्मा है और दो और अवक्तव्य है। आत्माएँ नहीं है। (८) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है और (६) दो देश सद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट (दो) अवक्तव्य है। है और एक देश असद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट (९) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् (दो) आत्माएँ | है, अतएव त्रिप्रदेशी स्कंध (दो) आत्माएँ हैं, हैं और अवक्तव्य है। और आत्मा नहीं है। (१०) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा नहीं । (७) एक देश सद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट है और अवक्तव्य है। | है और दूसरा देश तदुभय-पर्यायों से आदिष्ट है, (११) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा नहीं | अतः त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा है और अवक्तव्य है। है और (दो) अवक्तव्य है। (८) एक देश सद्भाव-पर्यायों से आदिष्ट (१२) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् (दो) आत्माएँ है और दो देश तदुभय-पर्यायो से आदिष्ट है, नहीं है और अवक्तव्य है। | अतः त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा है और (दो) (१३) त्रिप्रदेशी स्कंध स्यात् आत्मा है, | अवक्तव्य है । आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । | (९) दो देश सद्भाव--पर्यायों से आदिष्ट श्री गौतम ने जब पूछा कि भगवन् आप ये है और एक देश तदुभय-पर्यायों से आदिष्ट है, भंग किस अपेक्षा से बताते है ? श्री तब भगवान इसलिए त्रिप्रदेशी स्कंध (दो) आत्माएँ हैं और ने उत्तर दिया | और अवक्तव्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003177
Book TitleTattvagyan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year1982
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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