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श्रावक धर्म-अणुव्रत
विच्छेद-पशुओं को या और भी अपने आधीन आये हुए आत्मा को प्रमाण से अल्प आहार देना या समय पर नहीं देना और भूखे रखना, इस तरह करने से अतिचार आता है। अतः पांचों ही अतिचारों से बचना चाहिये।
आप समझ गये होंगे! यदि समझ में नहीं आया हो तो फिर से पढ़ियेगा, अथवा किसी जानकार से परामर्श करिये और निज आत्म कल्याण के इस व्रत को दृढ़ता से ग्रहण करियेगा।
दूसरा स्थूल मृषावाद विरमण व्रत है। दुनिया के सारे ही धर्म सम्प्रदाय और समझदार व्यक्ति यही कहते हैं कि झूठ बोलना अपराध है । कोई भी झूठ बोलना अच्छा नहीं मानता। यदि व्यापार में, राज काज में,न्यात में, सङ्घ में आप झूठ बोला करेंगे तो आपका मान नहीं बढ़ेगा। भूठे मनुष्य की कोई कद्र नहीं करता और व्यवहार में देखें तो (१) झूठी साक्षी शपथ पूर्वक देने से धारा १७८ में छै माह का कारावास अथवा एक हजार का दण्ड होता है (२) सरकारी अधिकारियों के समक्ष किये हुये कार्य का बयान लिखित देकर दस्तखत नहीं
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