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श्रावक धर्म-अणुव्रत
आते । इसलिए निज का भला चाहते हो तो नियम लीजिए कि___ निरपराधी त्रस जीव को इरादापूर्वक हिंसा करने की बुद्धि से कभी नहीं मारूगा । देखिये आप गृहस्थ हैं और गृहस्थ के अनेक कार्य अनिवार्य होते हैं । यदि मकान बनाने में कुआ, तालाब पर आरम्भ करने से हिंसा की क्रिया आजाय या व्यापारिक कार्यों में कोठार भरने से, औषधादि प्रयोग में अनायास जीव हिंसा हो जाय तो जयणा रह सकती है, अतः प्राणातिपात प्रथम अणुव्रत को बिना विलम्ब के लेना चाहिये।
इस व्रत के लेने वाले को पांच प्रकार के अतिचार से बचना चाहिए (१) जीव का वध हो जाय इस प्रकार से क्रोध करके पशु आदि-गाय, बैल, घोड़ा या और भी पशु को, पक्षी को नहीं मारना ( २) बंधन नाम का अतिचार-पशुओं को या और किसी को जकड़ कर नहीं बांधना (३) छविच्छेद, पशुओं के नाक में नाथ डाले
और इस प्रकार के और भी कर्म हो उनका त्याग करे (४) अतिभार-अर्थात् पशुओं पर या पशु द्वारा चलने वाले वाहन में प्रमाण से अधिक वजन नहीं डालना (५)
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