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श्री मांगीलाल जी सोलंकी, पुना
एक परिचय :
भारत के तत्वचिन्तकों ने जीवन के सम्बन्ध में गहराई से चिन्तन करते हुए लिखा है कि जीवन उसी का श्रेष्ठ है जिसके मन में स्नेह, सदभावना, उदारता का प्राधान्य है, वही जीवन वस्तुतः धन्य जीवन है। प्रस्तुत कसौटी पर हम धर्मप्रेमी सूश्रावक मांगीलाल जी सोलंकी के जीवन को कसते हैं तो उनका जीवन एक सच्चा जीवन प्रतीत होता है।
आपका जन्म राजस्थान की पावन पूण्य धरा पर सादड़ीमारवाड़ संवत् में 1987 में हुआ। आपके पूज्य पिता श्री का नाम चन्नीलाल जी और मातेश्वरी का नाम लालीबाई था। आपके लघु भ्राता का नाम भंवरलाल जी और वहिन का नाम चम्पावाई था। आपका पाणिग्रहण दलीचन्द जी सा० पुनमिया की सुपुत्री अखण्ड सौ० विजयावाई के साथ सम्पन्न हआ। विजयाबाई आपकी तरह ही सरलमना सुधाविका हैं। पति-पत्नी की यह जोड़ी राम-सीता की तरह आदर्श हैं।
आपके चार सुपुत्र हैं-खवीलाल जी, अमृतलाल जी, केवल चन्द जी और भरतकुमार जी । चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की तरह हैं। जिनमें अपार प्रेम है। आपकी एक सुपुत्री भी है। जिसका नाम सौ० वीणा देवी है। जिसका पाणिग्रहण पुखराज जी मेहता के सुपुत्र ललित जो मेहता सादड़ी (पूना) निवासी के साथ सम्पन्न हुआ।
पिता के पावन संस्कार चारों भाइयों में उजागर हुए हैं।
श्रीमान् खबीलाल' जी की पत्नी का नाम सौ० ववीवाई है। आपके दो सुपुत्र हैं- जितेन्द्र और मनोज तथा दो सुपुत्रियाँ हैं.... ऊषा और चेतना।
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