________________
( २ ) श्रीमान् अमृतलाल जी के धर्मपत्नी का नाम सौ० चम्पावती देवी है । उनके सुपुत्र का नाम गजेश है और भावना, पूनम दो सुपुत्रियाँ हैं ।
श्रीमान् केवलचन्द जी के धर्मपत्नी का नाम सौ० तारामती है । आपके हितेश, परेश, और धीरेश ये तीन सुपुत्र हैं।
श्रीमान् भरतकुमार जो के पत्नी का नाम सौ० भानुमति है। आपके पुत्र का नाम कल्पेश और पुत्री का नाम प्रियंका है।
आपका पूरा परिवार धर्मनिष्ठ है और परम गुरु भक्त है ।
आपका व्यवसाय पूना में है। सोने, चाँदी के प्रसिद्ध व्यापारी हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका उदारता पूर्वक अनुदान प्राप्त हुआ है, वह आपके परम गुरुभक्ति का द्योतक है। आपकी धर्म भावना दिन-दुनी रात चौगुनी फलती फूलती रहे यही जिनेश्वर देव से मंगलकामना करते हैं।
चुन्नीलाल धर्मावत
कोषाध्यक्ष श्री तारक गुरू जैन ग्रन्थालय
उदयपुर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org