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________________ भगवती सूत्र : एक परिशीलन २४३ महामेरु, सुदर्शन, मन्दर, शैलराज आदि अनेकों नाम विद्वानों ने वर्णित किये स्कन्ध-परस्पर सम्बद्ध परमाणुओं का समूह स्कन्ध कहलाता है। ये स्कन्ध कोई सूक्ष्म होते हैं, कोई स्थूल। कुछ चाक्षुष-चक्षु के विषय होते हैं और कुछ अचाक्षुष। स्याद्वाद-अनेकान्तमयी-अनेकधर्म वाली वस्तु का कथन करने की पद्धति स्याद्वाद है। किसी भी एक शब्द द्वारा वस्तु के समस्त धर्मों का युगपत् कथन करना अशक्य है अतः प्रयोजनवश कभी किसी एक धर्म को प्रधान बनाकर, वस्तु का कथन किया जाता है; कभी दूसरे धर्म को प्रधान बनाकर। परन्तु वह कथन सापेक्ष होना चाहिये, निरपेक्ष नहीं। स्यात का अर्थ कथंचित्-"किसी अपेक्षा से" है, और वाद अर्थात् कथन। अपेक्षाभेद से वस्तु का कथन करना स्याद्वाद कहलाता है। संसार के सभी झगड़े स्याद्वाद से मिटाये जा सकते हैं। हिंसा-प्रमाद के वश होकर जीव के प्राणों का व्यपरोपण कर देना हिंसा हेतु-जो साध्य के साथ अविनाभावी रूप से निश्चित हो अर्थात् साध्य के बिना न रहे, उसे हेतु कहते हैं। जैसे अग्नि का हेतु धूम। धूम, बिना अग्नि के कभी नहीं रहता। क्षयोपशम-कर्मों के एकदेश क्षय तथा एकदेश उपशम होने को क्षयोपशम कहते हैं। यद्यपि यहां कुछ कर्मों का उदय रहता है, परन्तु उनकी शक्ति अत्यन्त क्षीण होने से वे जीव के गुणों को घातने में समर्थ नहीं होते। तात्पर्य यह कि उदयागत सर्वघातिक कर्मों का क्षय और अनुदय प्राप्त का उपशम तथा देशघातिक का उदय रूप कर्म की अवस्था क्षयोपशम है। क्षायिक भाव-कर्मों का क्षय हो जाने पर जीव में जो ज्ञाता-द्रष्टा भाव व अतीन्द्रिय आनन्द प्रगट होता है, वह क्षायिक भाव है। क्षायिक सम्यक्त्व-दर्शनमोहनीय कर्म तथा अनन्तानुबन्धी कषाय के सर्वथा क्षय हो जाने पर जो निर्मल श्रद्धान होता है, उसे क्षायिक सम्यक्त्व कहते हैं। त्रस-अपनी रक्षार्थ स्वयं चलने-फिरने की शक्ति वाले जीव त्रस कहलाते हैं। दो इन्द्रिय से लेकर संज्ञी पंचेन्द्रिय तक के जीव त्रस हैं। लोक के मध्य में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003173
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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