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अध्यात्म की वर्णमाला
से संबद्ध हैं । कुछ केन्द्र शक्ति-विकास से संबद्ध हैं और कुछ केन्द्र मोहविलय से संबद्ध हैं । चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा इन सबको जागृत करने का प्रयोग है । इसे गहराई से समझो। उन्हें जागृत करने के लिए दीर्घकालीन अभ्यास करो। इसमें त्वरा काम नहीं देगी । अधैर्य लक्ष्य तक नहीं पहुंचाएगा।
कषाय-विजय, भावात्मक संतुलन, मानसिक एकाग्रता, भावविशुद्धि और मृदु-व्यवहार-ये साधन हैं। इनके साथ ध्यान का अभ्यास चले तो अवश्य लक्ष्य तक पहुंच सकते हो।
जयपुर १ जून, १९९१
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