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समण दीक्षा : एक परिचय ४१
संगोष्ठियां, महिला सम्मेलन, ज्ञानशाला आदि के संचालन से उनमें जागति पैदा करते हैं तथा ऐसे विषयों पर प्रवचन करते हैं, जिनके माध्यम से संघ के प्रति उनको अपने दायित्व का बोध हो सके। समणश्रेणी की ये यात्राएं संघीय प्रभावना तथा संस्कार-निर्माण में बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं। पैदल यात्रा
यात्रा के लिए वाहन का प्रयोग समणश्रेणी के लिए एक वैकल्पिक विधान है। समण-समणी केवल वाहन में ही यात्रा करते हों ऐसी बात नहीं, पैदल यात्रा के प्रसंग भी बनते रहते हैं। ये यात्राएं पूज्यगुरुदेव के साथ की जाती हैं तब इन यात्राओं के दौरान समणीवृन्द के द्वारा अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान आदि मिशन को लेकर मार्गवर्ती विद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यक्रम रखे जाते। गणाधिपति तुलसी के विराट् व्यक्तित्व से जन-जन को परिचित कराया जाता है। गांव-गांव में घर-घर जाकर लोगों को व्यसनमुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी जाती। ये पैदल यात्राएं जहां संघीय दृष्टि से लाभप्रद होती हैं, वहां श्रेणी के विकास में भी सहयोगी बनती हैं।
केवल गुरुसन्निधि में ही नहीं, स्वतंत्र रूप से भी पैदल यात्राओं के प्रयोग इस श्रेणी में किये गए हैं। ऐतिहासिक अमृत कलश यात्रा ___ गुरुदेव तुलसी के क्रांतिकारी नेतृत्व के पचास वर्ष। उन पांच दशकों की कहानी कहने वाला अमृत महोत्सव । २८ अप्रेल १६८५ का दिन। पचास दिवसीय अमृत कलश पदयात्रा के साथ इस महोत्सव का शुभारम्भ।
ऐतिहासिक भूमि मेवाड़ के गंगापुर कस्बे में मुनि तुलसी को आचार्यपद प्रदान किया गया। बाईस वर्ष का एक तरुण तेजस्विता को अपने में समाए सन् १६३५ को तेरापंथ के नौंवें सिहांसन पर अधिष्ठित हुआ। सफलतम शासनकाल के पचास वर्षों की पूर्णाहुति के उपलक्ष में इस अमृत-कलश पदयात्रा के लिए मेवाड़ का चयन किया गया। बीता हुआ कल एक बार पुनः जीवित हो उठा।
अमृत-कलश पदयात्रा की शुरुवात के पहले दिन इस अभियान का उद्घाटन समारोह रखा गया। इस समारोह में इस यात्रा का उद्देश्य तथा
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