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________________ ४२ समण दीक्षा : एक परिचय रूपरेखा प्रस्तुत की गई। पैदल चलने वाले यात्रियों को दिशानिर्देश दिए गए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बने-राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री हरदेव जोशी। इस ऐतिहासिक पदयात्रा का नेतृत्व समणीवृन्द ने किया। सात चरणों में विभक्त इस यात्रा ने लगभग ५६० किलोमीटर की दूरी तय की। भीलवाड़ा व उदयपुर जिले के ७६ गांवों तथा शहरों का स्पर्श किया। इस पदयात्रा के पांच उद्देश्य थे१. मद्य-निषेध ४. अस्पृश्यता-निवारण २. मिलावट निरोध ५. भावात्मक एकता ३. दहेज-उन्मूलन इस पदयात्रा के दौरान ३५४६६ संकल्प-पत्र भरे गए। संकल्प-पत्र भरने का अर्थ है ३५४६६ व्यक्तियों ने उपर्युक्त संकल्प ग्रहण किये। यह ऐतिहासिक अमृत कलश पदयात्रा समणश्रेणी की कार्यक्षमता उजागर करने में योगभूत बनीं तथा अनेकानेक कार्यकर्ताओं की कार्यशैली का परिचय हुआ। सेवा संस्कार यात्रा ___जय तुलसी फाउण्डेशन द्वारा संचालित 'सेवा संस्कार यात्रा' में भी इस श्रेणी की उपयोगिता साबित हुई है। अब तक महाराष्ट्र व मालवा प्रदेश के एक सौ चालीस गावं-शहर, जोधपुर संभाग के इकतीस तथा हरियाणा के पैंतालीस गांवों-शहरों का दौरा ३१, ३१ व १७ दिनों में सम्पन्न किया गया है। यह यात्रा आगे भी जारी है। इसमें संस्कार-निर्माण का महत्त्वपूर्ण कार्य किया जाता है। ___समणं श्रेणी अपनी उम्र के सोलह बसन्त पार कर चुकी है। इसके उद्भव के साथ उठी आशंकाए, आलोचनाएं, कपोल-कल्पनाएं सब कुछ अब समाहित हो चुकी हैं। इसकी सफलताओं ने समाज के सामने इसकी उपयोगिता को उजागर किया है। समणश्रेणी की उपयोगिता किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ी हुई नहीं हैं, यह तो तेरापंथ-संघ व इसके आचार्यों के व्यक्तित्व का विस्तार है, जिसके हर कोणसे मानवता उपकृत हुई है और सदियों तक होती रहेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003166
Book TitleSaman Diksha Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatishree Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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