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४० समण दीक्षा : एक परिचय
विभिन्न कार्यक्रम यात्राओं में होने वाले कार्यक्रम दो स्तरों पर आयोजित किये जाते हैं- सार्वजनिक और संघीय। सार्वजनिक
प्रेक्षाध्यान एक ऐसा उपक्रम है, जिसमें आम आदमी को अपनी समस्या का समाधान दृष्टिगत होता है। संतुलित व्यक्तित्व-विकास के लिए प्रेक्षाध्यान अनिवार्य तत्त्व है। यह साम्प्रदायिक घेरों से ऊपर है। यात्राओं के दौरान शिविरों के माध्यम से प्रेक्षाध्यान का सैद्धान्तिक और प्रायोगिक रूप प्रस्तुत किया जाता है। न केवल तेरापंथी, न केवल जैन, बल्कि इतर जैन भी इन शिविरों में बड़े ही उत्साह से भाग लेते हैं। यह समाज के हर वर्ग के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। प्रेक्षाध्यान शिविरों के अतिरिक्त स्कूलों, कॉलेजों विश्वविद्यालयों में अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान तथा जैनदर्शन के मौलिक सिद्धान्तों के विषय में प्रवचन, कान्फ्रेन्स, प्रेस कॉन्फ्रेंस आदि कार्यक्रम रखे जाते हैं। आज तक लगभग ३०० से अधिक प्रेक्षाध्यान शिविर समण-समणीवन्द के निर्देशन में सम्पन्न किये जा चुके हैं। वे करीबन ५० नेशनल और इन्टरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भाग ले चुके हैं तथा ५० से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर चुके हैं । इस वर्ग के द्वारा सैंकड़ों-सैंकड़ों, स्कूल-कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रम रखे जा चुके हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से देश के हजारों-हजारों शिक्षक लाखों-लाखों विद्यार्थी गणाधिपति तुलसी के मिशन से प्रभावित हुए हैं। विदेशों में भी कई स्कूलों तथा विश्वविद्यालयों में समण-समणीवृन्द के कार्यक्रम प्रस्तुत होते रहते हैं। हवाई, आरिजोना, स्टेन्फोर्ड, आक्सफोर्ड, केम्ब्रिज, शिल्यकोन, बुद्धिस्ट बर्कले, सिडनी आदि अनेक विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रभावशाली कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। संघीय कार्यक्रम
जिस क्षेत्र में समण-समणी जाते हैं, वहां के श्रावकों की सार-सम्भाल करना उनका प्रथम दायित्व होता है। सुदूर प्रान्तों में रहने वाले लोग भी केन्द्र से जुड़े रहें, युवापीढ़ी तथा बालकों में धार्मिक संस्कार पल्लवित होते रहें, महिलाओं में धर्म के गहरे संस्कार हों ताकि वे पूरे परिवार में अच्छे संस्कारों का संचरण कर सकें। इसके लिए श्रावक सम्मेलन, पारिवारिक
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