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________________ समण दीक्षा : एक परिचय ३१ ज्ञान-विज्ञान की शाखा के लिए उन्हें खुला अवकाश है। यही कारण है कि इस श्रेणी में शिक्षा के अनेक रूप उद्घाटित हुए हैं 1 स्नातक I शिक्षा का प्रथम पड़ाव है. स्नातक (बी.ए.) तक का अध्ययन - समणश्रेणी के प्रायः सदस्य स्नातक हैं । स्नातक तक के अध्ययन की व्यवस्था पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अन्तर्गत ब्राह्मीविद्यापीठ ( कॉलेज) में है । दीक्षा से पूर्व प्रायः सभी मुमुक्षु बी. ए. तक की शिक्षा ग्रहण कर लेती हैं । यदि किसी कारणवश उनकी शिक्षा पूर्ण नहीं हो पाती है तो समणी बनने के बाद भी उसके लिए व्यवस्था की जाती है । स्नातकोत्तर इस श्रेणी में उच्च शिक्षा का भी पूरा-पूरा अवकाश है। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) उच्च शिक्षा का एक 'विलक्षण' संस्थान है। यहां प्राच्य विद्याओं के साथ आधुनिक विद्याओं का तुलनात्मक अध्ययन करवाया जाता है । वर्तमान में समण श्रेणी समण में सत्तर समणी तथा तीन समण विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हैं । आठ समणी अधिस्नातक हैं। कुछ दो विषयों में एम.ए हैं । कुछ समणियां स्नातकोत्तर के बाद शोधकार्य में भी रत हैं । J.R.F तथा NET समण श्रेणी के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत अध्यापन कार्य भी सम्मिलित है । अध्यापन का कार्य समण / समणी वर्षों से कर रहे हैं फिर भी इसको प्रमाणित करने के लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। यू.जी.सी. द्वारा निर्धारित J.R.F. अथवा NET की डिग्री व्याख्याता बनने के लिए अनिवार्य है। कॉलिज और युनिवर्सिटी में अध्यापन के लिए समण श्रेणी ने इस ओर भी अपना ध्यान केन्द्रित किया । समय-समय पर आवश्यकतानुसार समणीवृन्द ने ये परीक्षाएं देकर सफलता प्राप्त की हैं। वर्तमान में सात ७ समणियां व्याख्याता बनने के लिए अपनी योग्यता पर J. R. F / NET की मुहर लगा चुकी हैं। व्यापकता प्रदान करने में एक कार्य है । पत्रि का सम्पादन-इस कार्य में भी दक्षता प्राप्ति हेतु समणियों द्वारा पत्रकारिता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003166
Book TitleSaman Diksha Ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatishree Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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