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२४ समण दीक्षा : एक परिचय होता है। उसका दायित्व होता है सहवर्ती समणियों के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य, साधना, शिक्षा आदि का विकास करवाना। आचार, अनुशासन, नियम आदि की अनुपालना करवाना। साधुत्व के योग्य संस्कार देना। स्वयं स्वावलम्बी रहते हुए सहवर्ती समणियों को श्रम, सेवा और स्वालम्बन की प्रेरणा देना। उसके ज्ञान, दर्शन, चारित्र की अभिवृद्धि के लिए जागरूक रहना। वक्तृत्व, लेखन आदि के लिए प्रेरित करते रहना।
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